उत्तर प्रदेश में होली के अवसर पर मस्जिदों को ढकने की प्रक्रिया जारी है। शाहजहांपुर, संभल, बरेली और अलीगढ़ सहित कई जिलों में प्रशासन ने मस्जिदों को तिरपाल से ढकने का काम किया है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम धार्मिक सौहार्द बनाए रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उठाया गया है।
हालांकि, इस फैसले को लेकर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे राजनीतिक कदम बताया है। वहीं, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने प्रशासन की इस पहल को सराहा है, लेकिन उनका कहना है कि यह परंपरा योगी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई है, इससे पहले ऐसा नहीं देखा गया था।
होली और जुमे की नमाज को लेकर प्रशासन अलर्ट
इस बार 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा और इसी दिन जुमे की नमाज भी होनी है। इसको देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। पुलिस ने संभल, बरेली और अलीगढ़ सहित कई जिलों में फ्लैग मार्च किया है।
शाहजहांपुर में होली के जुलूस के मार्ग में पड़ने वाली मस्जिदों को तिरपाल से ढका गया है। संभल में भी करीब 10 मस्जिदों को ढकने का कार्य किया गया है। अलीगढ़ प्रशासन ने भी इसी तरह की पहल की है। अलीगढ़ के एडीएम (सिटी) अमित कुमार भट्ट का कहना है कि यह एक पारंपरिक प्रक्रिया है, जिसे हर साल होली के अवसर पर किया जाता है और इसमें सभी समुदायों का सहयोग मिलता है।
धर्मगुरुओं की अपील – सौहार्द बनाए रखें
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने प्रशासन से सतर्कता बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि चूंकि इस बार नमाज का समय बदला गया है, इसलिए हिंदू समुदाय को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी होली खेलने से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
वहीं, सुन्नी धर्मगुरु मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि अगर यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर इसे किसी खास समुदाय पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है, तो यह संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल
प्रशासन के इस फैसले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यह कदम एक खास समुदाय को अलग-थलग करने के लिए उठाया गया है।
हालांकि, प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि यह केवल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए किया गया एक एहतियाती कदम है, जिसका उद्देश्य सभी समुदायों के बीच शांति बनाए रखना है।
होली और जुमे की नमाज के एक ही दिन होने के कारण प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मस्जिदों को ढकने की इस परंपरा को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई है, लेकिन प्रशासन इसे सामान्य सुरक्षा प्रक्रिया बता रहा है। अब देखना होगा कि यह मुद्दा आगे कितना तूल पकड़ता है और क्या यह परंपरा भविष्य में भी जारी रहेगी या नहीं।