शारदीय नवरात्रि शुरुआत 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से हो चुकी है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगी। प्रतिपदा तिथि पर कलशस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष देवी मां पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं। देवी दुर्गा विश्व की माता हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा करने से सभी कष्ट, रोग, दोष, दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है। ऐसे में आइए जानते है कि नवदुर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी की क्या मान्यता है और माता रानी की उपासना विधि से क्या लाभ होता है।
मां महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार देवी महागौरी की पूजा का शुभ समय सुबह 11:45 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना शुभ रहेगा।
कैसा है मां महागौरी का स्वरूप
इस कठोर तपस्या के फलस्वरूप उनका रंग काला पड़ गया। जब भगवान महादेव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देने आये तो उन्होंने पार्वती जी को गंगाजल से धोया और उनके शरीर का कालापन दूर किया। तुलसीदास जी ने अपनी रचना में पार्वती की तपस्या का उल्लेख किया है। इनके गौर वर्ण की तुलना शंख और चंद्रमा से की जाती है। किशोरी अवस्था में माता वेश्वेत वस्त्र धारण करती थी। इनकी चार भुजाएं हैं. दाहिनी तरफ ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ त्रिशूल पकड़े हुए है। ऊपरवाले बाएं हाथ मे डमरू और नीचे वाला अभय मुद्रा में है। इनका वाहन वृषभ है।
महागौरी पूजा मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां महागौरी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां महागौरी का जन्म राजा हिमालय के यहां हुआ था, जिसके कारण उनका नाम पार्वती रखा गया, लेकिन जब मां पार्वती आठ वर्ष की हो गईं, तो उन्हें अपने पिछले जन्म की घटनाएं स्पष्ट रूप से याद हो गईं। जिससे उसे पता चला कि वह पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी थी। उसी समय से उन्होंने भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में मान लिया और शिवजी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या करनी भी आरंभ कर दी। मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की। वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण उनका शरीर काला पड़ गया। इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्जवल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई।
महागौरी की पूजा के लाभ
महागौरी की पूजा अत्यंत फलदायी है। इनकी पूजा करने से सारी गर्मी और प्रदूषण दूर हो जाते हैं। कई जन्मों के संचित पाप भी समाप्त हो जाते हैं। इससे भविष्य में होने वाले पाप पहले ही नष्ट होने की संभावना रहती है। अक्षय सद्गुणों का उदय होता है। सच्चे मन से की गई पूजा से देवी का अपार फल मिलता है। उनका समर्पण हमारे लिए सत्य का द्वार खोलता है। देवी पुराण के अनुसार इस दिन 8 कन्याओं को भोज कराना चाहिए। महिलाएं आज के दिन रंगहीन कपड़े पहनती हैं। कई लोग आज के दिन ही कन्या पूजन (कन्या पूजा) भी करते हैं।