मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे देशभर में खास धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है, जिसे शास्त्रों में बहुत पुण्यकारी माना गया है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं, और यह समय शुभ होता है। मकर संक्रांति की तिथि हर साल थोड़ी भिन्न होती है, क्योंकि यह सूर्य की गति पर आधारित होती है। तो जानिए तिथि और महत्व।
मकर संक्रांति 2025 की तिथि
साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। यह दिन मंगलवार है। मकर संक्रांति का पर्व आमतौर पर 14 जनवरी या कभी-कभी 15 जनवरी को आता है, लेकिन इस बार यह 14 जनवरी को पड़ेगा। यह दिन विशेष रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य भागों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इस दिन को सूर्य देवता की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा की प्रतीक मानी जाती है। इस दिन से दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, जिसे 'उत्तरायण' की शुरुआत कहा जाता है।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के दिन पुण्य कार्य करने, दान देने और स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और तिल दान करने की परंपरा है। लोग इस दिन तिल और गुड़ का सेवन करते हैं, जो शरीर को शुद्ध करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के रूप में माने जाते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति के आयोजन
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और इसकी मनाने की विधि भी भिन्न होती है।
पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। लोग आग के आसपास एकत्रित होते हैं और तिल-गुड़ खाते हैं।
गुजरात और महाराष्ट्र में इसे उत्तरायण के नाम से मनाते हैं, और यहां पतंगबाजी का बड़ा रिवाज है।
तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो एक प्रमुख कृषि उत्सव है।
बंगाल में इसे माघ संक्रांति कहा जाता है और यहां विशेष रूप से तिल से बने मिठे पकवान खाए जाते हैं।