सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मुद्दों पर हुई बैठक में बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित कमिटी, जिसे कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) कहा जाता है, ने दिशा-निर्देशों का पालन कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने की घटनाओं और प्रदूषण की समस्या पर चिंता व्यक्त की, यह कहते हुए कि सिर्फ बैठकें हो रही हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि न तो पंजाब और न ही हरियाणा ने निर्देशों के पालन के लिए कोई कदम उठाया है।
कोर्ट ने CAQM की कार्यशैली पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि उसने आदेशों के कार्यान्वयन के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। यहां तक कि सुरक्षा से जुड़े उपसमिति ने जून 2021 के आदेशों पर चर्चा भी नहीं की। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि सितंबर के अंतिम 15 दिनों में पंजाब में पराली जलाने के 129 मामले सामने आए हैं, जबकि हरियाणा में इसी अवधि में 81 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।
SC ने बताया कि पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में पराली जलाने की घटनाएं 2022 की तुलना में बढ़ी हैं। हालांकि, राज्यों द्वारा उठाए गए कदम केवल नाममात्र के जुर्माने तक सीमित हैं। नियमों के उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के लिए CAQM के स्पष्ट निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। मशीनें उपलब्ध होते हुए भी उनका सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है।
आयोग में शामिल विशेषज्ञों की दक्षता पर भी सवाल उठाए गए हैं, क्योंकि एक बैठक में 11 में से केवल 5 सदस्य ही उपस्थित थे। समिति ने जून 2021 के आदेशों पर चर्चा करने के लिए भी बैठक में भाग नहीं लिया।