जम्मू कश्मीर के पहलगाम मे मंगलवार (22 अप्रैल 2025) को हुए इस्लामी आतंकी हमले के बाद पूरे देश मे उबाल है। धर्म पूछ कर कत्ल करने की पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले आतंकियों के लिए मौत की भी सजा छोटी मानी जा रही है। इसी आक्रोश को आज देश और दुनिया ने सुदर्शन न्यूज के जनसंवाद कार्यक्रम मे देखा। गुरुवार (24 अप्रैल 2025) को सम्पन्न हुए इस शो मे देश भर से आए समाज के विभिन्न वर्ग के हिंदुओं को सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक और धर्मयोद्धा नाम से सुविख्यात डॉ सुरेश चव्हाणके जी ने संबोधित किया। देखें पूरा शो -
जनसंवाद कार्यक्रम की शुरुआत मे आतंकी हमलों मे स्वर्गवासी हुए हिंदुओं को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही हमले मे घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की गई। जनसंवाद मे पुरुष और महिलाओं की सामूहिक सहभागिता रही। इस दिन सभी ने एक स्वर मे इस्लामी आतंकवाद के फन को पैरों से कुचलने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दौरान सब कुछ देख कर भी भाईचारे की भाँग पीने वाले धर्मनिरपेक्ष बिरादरी को भी आड़े हाथों लिया गया। कविताओं के माध्यम से आक्रोश जाहिर किया गया और आतंकवाद का मजहब घोषित करने की माँग उठी।
जनसंवाद मे आए हिंदुओं ने स्पष्ट रूप से हमले को इस्लामिक आतंकियों की हरकत बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आतंकवाद मे बचपन से ही अन्य मत-मजहबों के प्रति जहर भरा जाने लगता है। इनको सँपोले जैसे शब्दों ने आक्रोशित लोगों ने संबोधित किया। आतंकवादियों की लाशों को भी इस्लामी तौर तरीकों से अंतिम संस्कार किए जाने के खिलाफ भी जनसंवाद मे आवाज उठाई गई। डॉ चव्हाणके जी ने माँग उठाई कि आतंकवादियों की लाशों को उनके परिजनों को सौंपने के बजाय सरकारी तौर पर जला दिया जाए।
इस जनसंवाद का शीर्षक था, "सर काटो या सीमा लाँघो, जिहादियों को सबक सिखाओ मोदी जी।" आज के जनसंवाद मे धर्मयोद्धा डॉ सुरेश चव्हाणके सामान्य के मुकाबले अधिक आक्रोशित दिखे। उन्होंने पहलगाम नरसंहार को वर्तमान धर्म निरपेक्ष पीढ़ी के लिए डिजिटल युग मे एक नई घटना बताया। पहलगाम को उन्होंने सन 1990 के दशक का एक्शन रिप्ले बताया। आम चर्चा से हट कर डॉ चव्हाणके जी ने सीमा पार के पाकिस्तान से ज्यादा घातक देश के अंदर बन रहे पाकिस्तान को बताया। उन्होंने दावा किया कि आज नहीं तो कल धार्मिक सोच वालों का अधर्मियों से आमना-सामना टी है।