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Bangladesh Protest: हिंसा के बीच बांग्लादेश SC का बड़ा फैसला, सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आदेश को लिया वापस

बांग्लादेश में कोटा सिस्टम को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को देखते हुए नौकरी आरक्षण का फैसला वापस ले लिया है।

Rashmi Singh
  • Jul 21 2024 3:18PM

बांग्लादेश में कोटा सिस्टम को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक रुप ले लिया है। इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 133 से ज्यादा लोग मारे गए है। ऐसे में इसी बीच बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने नौकरी में आरक्षण का फैसला वापल ले लिया है। बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला आज यानी रविवार को लिया है। कोर्ट ने कहा कि, इसकी वजह से देशभर में अशांति फैल गई है। कई लोगों की जान गई है। 

बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला 

सुप्रीम कोर्ट ने इस हिंसक प्रदर्शन को मद्देनजर रखते हुए बड़ा फैसला लिया। कोर्ट ने अपने फैसले में 93% सरकारी नौकरियों को योग्यता के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया। जबकि 7% 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सैनानियों के परिवार के लिए छोड़ दिया है। अभी तक ऐसे लोगों के लिए 30% ऐसी नौकरियां आरक्षित थी। 
दरअसल इस फैसले को आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए लिया गया। इसमें प्रदर्शन में अभी तक 133 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 3000 से ज्यादा लोग घायल है। बांग्लादेश में इस प्रदर्शन को लेकर वहां के सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों को बंद रखने का नर्देश जारी कर दिया गया था। वहीं देश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया था। सरकार ने पुलिस को उपद्रवियों को देखते ही गोली मार देने का निर्देश भी दे दिया था। अब रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान निचली अदालत के फैसले को बदल दिया। कोर्ट ने 93% सरकारी नौकरियों को योग्यता के आधार देने को कहा। साथ ही 7% नौकरियां उनके परिवारवालों के लिए रहेंगी, जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। 

ये था हंगामे का मुख्य कारण

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, बांग्लादेश में प्रदर्शन और हिंसा की वजह सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर थी। आजादी के बाद 1972 से स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाता है। एक गुट चाहता है कि यह आरक्षण जारी रहे। जबकि दूसरा धड़ा इसे खत्म करना चाहता है।  शेख हसीना सरकार ने 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद इस आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था। अब मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो रविवार को वहां से भी इसे बदल दिया गया।

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