स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारी ऐसे थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया. ऐसा ही एक नाम है जयदेव कपूर जी का. जिन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद जी और भगत सिंह जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए काम किया था.आज उस वीर बलिदानी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनके शौर्य गाथा को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
जानकारी के लिए बता दें कि जयदेव कपूर जी का जन्म 24 अक्टूबर 1908 में दीवाली की पूर्व संध्या पर हरदोई, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता शालिग्राम कपूर जी आर्य समाज के सदस्य थे. जयदेव कपूर जी ने छोटे महाराज और ठाकुर राम सिंह जी के संरक्षण में कुश्ती सीखी.
बता दें कि कानपुर के डीएवी इण्टर कालेज में जब वे शिक्षा ले रहे थे तभी शिव वर्मा जी के साथ सचिंद्र नाथ सान्याल जी द्वारा गठित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल हो गए. कुछ साल बाद (1925-27 में), जयदेव कपूर जी को बनारस में क्रांतिकारी नेटवर्क विकसित करने का काम सौंपा गया. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बीएससी पाठ्यक्रम के लिए नामांकन कराया. भगत सिंह जी कई दिनों तक उनके साथ लिम्बडी ( लिंबडी ) छात्रावास में रहे.
वहीं, जयदेव कपूर जी पूरे भारत में सक्रिय क्रांतिकारियों की अब प्रसिद्ध बैठक में भाग लेने लगे. बता दें कि 8-9 सितंबर 1928 को फिरोज शाह कोटला के खंडहर में आयोजित बैठक में वे सम्मिलित थे. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के दो प्रभाग होंगे, एक प्रशासनिक और दूसरा सैन्य. जयदेव कपूर जी इसके सैन्य प्रभाग में थे. उन्होंने आगरा में बम बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया.
जयदेव कपूर जी ने व्यापार विवाद विधेयक और सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक के विरोध में विधानसभा बम विस्फोट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने खुद को दिल्ली कॉलेज में पढ़ने वाला अर्थशास्त्र का छात्र घोषित किया और विधानसभा पुस्तकालय का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त की. वह जल्द ही एक सतर्कता अधिकारी के साथ एक परिचय बनाने में कामयाब रहे, जिसने उन्हें विधानसभा में आने के लिए स्वीकृति पत्र प्राप्त करने में मदद की. वह अपने साथियों को विधानसभा भवन के निरीक्षण के लिए ले जाते थे. भगत सिंह जी की प्रसिद्ध टोपी वाला फोटो विधानसभा बमबारी से कुछ दिन पहले ली गई थी. इसके लिये कपूर ने दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित रामनाथ फोटोग्राफर्स के स्टूडियो में व्यवस्था की थी.
जयदेव कपूर जी, शिव वर्मा जी और शिवराम राजगुरु जी ने भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन की हत्या करने की योजना बनाई थी, जब वह आईसीएस अधिकारियों द्वारा आयोजित एक रात्रिभोज और भोज पार्टी में शामिल होंने वाले थे. राजगुरु जी स्पॉटर थे, कपूर को इरविन की कार पर बम फेंकना था, और वर्मा बैकअप थे: अगर जयदेव कपूर जी चूक गए, तो वर्मा एक और बम फेंक देंगे. उस रात वाइसराय ने तीन महिलाओं को कहीं छोड़ने के लिए अपनी कार भेजी. राजगुरु जी ने इस पर ध्यान दिया और उन्होंने कोई संकेत नहीं दिया लेकिन बाद में अंधाधुंध हत्याओं से बचने के लिए सभी क्रांतिकारियों द्वारा उनकी प्रशंसा की गई.
वहीं, विधानसभा बम विस्फोटों के बाद दिल्ली में माहौल गर्म होने के बाद, जयदेव कपूर जी, शिव वर्मा जी और गया प्रसाद कटियार जी और अन्य लोगों द्वारा बम कारखाने को सहारनपुर स्थानांतरित कर दिया गया. उनकी योजना एक डिस्पेंसरी की आड़ में बम फैक्ट्री चलाने की थी. शिव वर्मा जी और जयदेव कपूर जी कंपाउंडर थे. किशोरी लाल जी, सुखदेव थापर जी आदि भी शामिल थे.
बता दें कि धन की कमी और इन तीनों की गतिविधियों से जल्द ही स्थानीय लोगों और पुलिस को इन पर संदेह होने लगा. जल्द ही पुलिस उपाधीक्षक मथुरा दत्त जोशी ने उस कारखाने पर छापेमारी का आदेश दिया और सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. फिर उन्हें लाहौर भेजा गया और कुख्यात लाहौर षडयंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया. उन्हें कालापानी की सजा हुई. उन्होंने भगत सिंह जी और अन्य सहयोगियों से आखिरी बार मिलने की इच्छा जताई.
भगत सिंह जी ने अपने नए जूते जयदेव कपूर जी को सौंपते हुए कहा कि पुलिस उन्हें वैसे भी ले जाएगी, कम से कम जयदेव कपूर जी उनका इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में संरक्षित किया. जयदेव कपूर जी को 16 साल बाद ( भारत को आजादी मिलने से कुछ साल पहले) रिहा किया गया था.आज उस वीर बलिदानी के जन्मदिवस पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनके शौर्य गाथा को समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.