रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ठोस अवस्था भौतिकी प्रयोगशाला (Solid State Physics Laboratory) ने 4-इंच व्यास वाले सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) वेफर्स और गैलियम नाइट्राइड (GaN) हाई इलेक्ट्रॉन मोबिलिटी ट्रांजिस्टर (HEMT) के निर्माण की स्वदेशी प्रक्रिया विकसित कर ली है।
इन ट्रांजिस्टरों की क्षमता 150 वॉट तक की है, जबकि मोनोलिथिक माइक्रोवेव इंटीग्रेटेड सर्किट्स (MMICs) की क्षमता 40 वॉट तक पहुंच चुकी है। यह तकनीक X-बैंड फ्रीक्वेंसी तक के अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त है।
रक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण तकनीक
GaN/SiC तकनीक अगली पीढ़ी के रक्षा, एयरोस्पेस और स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी वजह से ऊर्जा दक्षता में सुधार, आकार और वजन में कमी तथा बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित किया जा सकता है। यह तकनीक भविष्य के रक्षा प्रणालियों, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों और हरित ऊर्जा समाधानों के लिए आवश्यक मानी जा रही है।
भविष्य की लड़ाकू प्रणालियों में बढ़ती मांग
फ्यूचर कॉम्बैट सिस्टम्स में हल्के और कॉम्पैक्ट पावर सप्लाइज की बढ़ती मांग के कारण, GaN/SiC तकनीक संचार, खुफिया, टोही, और मानव रहित प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है। यह तकनीक सैन्य और वाणिज्यिक क्षेत्रों, जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन और अक्षय ऊर्जा में भी सहायक है।
हैदराबाद के GAETEC में उत्पादन क्षमता स्थापित
GAETEC, हैदराबाद में स्वदेशी GaN/SiC आधारित MMICs का सीमित उत्पादन क्षमता के साथ सफलतापूर्वक निर्माण स्थापित किया गया है। ये अत्याधुनिक मल्टीफंक्शनल MMICs अगली पीढ़ी की रणनीतिक प्रणालियों, अंतरिक्ष, एयरोस्पेस, और 5G/सैटेलाइट संचार में व्यापक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त हैं।
‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक महत्वपूर्ण कदम
वाणिज्यिक रूप से उपयोगी SiC और GaN-आधारित MMIC तकनीक का विकास भारत की आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सेमीकंडक्टर तकनीक में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगा।