बांग्लादेश के चिटगांव में एक अदालत ने हिंदू संत चिन्मय दास की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। हालांकि, चिन्मय दास के बचाव पक्ष में बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के 11 वकीलों ने अपनी तरफ से पैरवी की, लेकिन इसके बावजूद उन्हें जमानत नहीं मिली।
वकीलों को मिला पक्ष रखने का अवसर
चिन्मय दास के मामले में एक सकारात्मक घटनाक्रम यह रहा कि आज के सुनवाई में उनके वकीलों को अपना पक्ष रखने का मौका मिला। इससे पहले की दो सुनवाई में उनके वकीलों को अदालत में पेश होने का अवसर नहीं मिला था। इस्कॉन की ओर से भी उम्मीद जताई जा रही थी कि आज के सुनवाई में संत चिन्मय दास को न्याय मिलेगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ।
चिन्मय प्रभु के लिए न्याय की मांग बढ़ी
चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे अब इस मामले में उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं। 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किए गए चिन्मय कृष्ण दास तब से जेल में बंद हैं। उनकी रिहाई के लिए बांग्लादेश में लगातार न्याय की मांग बढ़ रही है।
पिछली सुनवाई
चिन्मय दास के पक्ष में वकील पिछली दो सुनवाई में अदालत में नहीं आ सके थे, जिसका कारण कुछ वकीलों की धमकी थी। इस कारण से इस्कॉन ने उम्मीद जताई थी कि आज उनके वकीलों को अदालत में पेश होने का मौका मिलेगा। 11 दिसंबर को भी बांग्लादेश की अदालत ने चिन्मय दास की प्रारंभिक जमानत याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि प्रक्रिया में खामी थी और वकील की अनुपस्थिति थी।