दिल्ली में आयोजित "जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और संबद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत" (J&K and Ladakh Through the Ages) नामक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। आज यानी गुरुवार को इस अवसर पर उन्होंने आर्टिकल 370, आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बारे में अपने विचार रखे।
भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना
केंद्रीय गृह मंत्री ने भारतीय संस्कृति और इतिहास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। हमारे देश को समझने के लिए हमें उसकी संस्कृति, कला और व्यापार को समझना होगा। कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है, और यह हमेशा रहेगा।" उनका कहना था कि ब्रिटिश काल में लिखे गए इतिहास में भारत के वास्तविक जुड़ाव को सही तरीके से नहीं दिखाया गया।
अनुछेद 370 और आतंकवाद के बीच संबंध
अमित शाह ने आर्टिकल 370 के प्रभाव पर भी बात की। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म किया, जो कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने का कारण था। इस अनुच्छेद के हटने के बाद से आतंकवादी घटनाओं में गिरावट आई है और घाटी में आतंकवाद का इकोसिस्टम खत्म हुआ है।"
धारा 370 और अलगाववाद का संबंध
अमित शाह ने यह भी कहा कि धारा 370 ने कश्मीर और भारत के बीच एक अस्थायी और भ्रामक संबंध स्थापित किया था, जिसके कारण अलगाववाद की भावना को बढ़ावा मिला। उनका मानना था कि आर्टिकल 370 ने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया, और इससे 40 हजार से अधिक लोग आतंकवाद की शिकार हुए।
विकास और कश्मीर का उज्जवल भविष्य
गृह मंत्री ने कश्मीर के विकास की दिशा में हुए परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए कहा, "आज कश्मीर में व्यापक विकास हो रहा है, और मुझे विश्वास है कि जो कुछ भी हमसे खो गया है, वह जल्द ही पुनः प्राप्त होगा।" उन्होंने इस बात को भी कहा कि कश्मीर न केवल भौतिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी जल्दी ही ऊंचाइयों को छुएगा।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकीकरण की ओर कदम
अमित शाह ने इस कार्यक्रम में 8,000 साल पुरानी प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के भारत के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एकीकरण को रेखांकित किया। उनके अनुसार, यह एकीकरण भारतीय सभ्यता के मूल तत्वों से जुड़ा हुआ है, और यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।