स्कंद षष्ठी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा और उपासना के लिए समर्पित होता है। 2025 में साल की पहली स्कंद षष्ठी आज यानी 4 जनवरी को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अन्य हिस्सों में भी यह त्यौहार श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। तो जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
शुभ मुहूर्त
स्कंद षष्ठी का व्रत खासतौर पर सूर्योदय से पूर्व आरंभ होता है और 6 दिन तक इसका पालन किया जाता है, हालांकि इस दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। 2025 में स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त 4 जनवरी को सुबह 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान स्कंद की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। पूजा का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम के समय होता है।
पूजा विधि
स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा विधि में निम्नलिखित कदम शामिल होते हैं:
स्नान और शुद्धि: पूजा शुरू करने से पहले श्रद्धालु अपने शरीर को शुद्ध करके स्नान करते हैं। यह दिन का एक महत्वपूर्ण अंग है।
ध्यान और मंत्र जाप: व्रति ध्यानपूर्वक भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हैं। स्कंद षष्ठी के दिन 'ऊं स्कन्दाय नम:' और 'जय स्कन्द' जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है।
भगवान स्कंद की पूजा: भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाया जाता है और उन्हें ताजे फूल, चंदन, धूप, और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। विशेष रूप से उबटन और स्नान के बाद भगवान की पूजा की जाती है।
व्रत और उपवास: इस दिन विशेष रूप से उपवास रखा जाता है, जिसमें व्रति केवल फल और जल ग्रहण करते हैं। यह व्रत पूरे दिन रखा जाता है और रात में श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है।
संध्या वेला की पूजा: संध्या के समय भगवान स्कंद की पूजा और आरती की जाती है। व्रति अपनी समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हुए यह पूजा करते हैं।
महत्व
स्कंद षष्ठी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या, दुख या कष्ट का सामना कर रहे होते हैं। यह पूजा भगवान स्कंद को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक सशक्त उपाय मानी जाती है।