महाकुंभ नगर के सेक्टर छह में रविवार से नेत्र कुंभ-2025 की शुरुआत हो गई है। नेत्र कुंभ का उद्घाटन जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने की है। इस दौरान उन्होंने जनसभा को संबोधित भी किया है। जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि, सनातन संस्कृति का मूल तत्व परमार्थ है। दान हमारी संस्कृति की सुदीर्घ अभिव्यक्ति है। नेत्र कुंभ के माध्यम से हजारों लोगों को आंखों में रोशनी आएगी। यह इंद्रधनुषी दुनिया को देख सकेंगे। नेत्र कुंभ का आयोजन महाकुंभ मेला का सबसे बड़ा आध्यात्मिक स्थल बन गया है।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने आगे कहा कि, "इसके निर्माण के अभी एक वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं। यह श्रीराम की कृपा का देश है। हिंदू समाज अब जाग रहा है। संगम तट पर हजारों साल से कुंभ के अवसर पर हिंदू समाज एकत्र होता आ रहा है। यहां आकर लोग आध्यात्मिक साधना करते हैं। पूरे विश्व में इतनी आस्था किसी नदी में नहीं, जितना गंगा में है।"
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी ने कहा कि, "नेत्र मानव का सबसे अधिक संवेदनशील अंग है। इससे हम इस सुंदर जीवन को पहली बार देखते हैं। स्वयं नेत्र के उद्भव से संसार की उत्पत्ति है। इसका केंद्र आध्यात्म है। इसके आदर्श स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, प्रभु श्रीराम, श्रीकृष्ण और संत महात्मा हैं। यही मानव जाति का अनुसरण करते हैं। इंद्रधनुषी रंग विभिन्न वस्तुओं को ढूंढते हैं। सेवा भाव का अप्रतिम उदाहरण है।"
वहीं नेत्र कुंभ-2025 को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि, "अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर विश्व को एक बड़ा संदेश देगा कि यह कोई नया स्थल नहीं है। जो कुछ है, वह परंपरा का है। इसी भावना से समाज हरिद्वार से कुंभ में आकर दान देकर जाता है। आज नेत्रदान सबसे बड़ा दान होना चाहिए। यह कुंभ का प्रमुख संदेश देगा।"