भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी बुधवार को अपनी 100वीं ऐतिहासिक मिशन को सफलता पूर्वक पूरा किया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट द्वारा नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, और यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम है।
बता दें कि जीएसएलवी (ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) रॉकेट की 17वीं उड़ान में स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग किया गया। इस रॉकेट ने दूसरे लॉन्च पैड से उपग्रह को लॉन्च किया। एनवीएस-02 उपग्रह 'नाविक' (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है, और इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारत के भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्रों में सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है। यह उपग्रह भारतीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे भारत के पास पूरी तरह से आत्मनिर्भर नेविगेशन सेवा उपलब्ध होगी।
इस मिशन के लॉन्च के लिए 27.30 घंटे की उल्टी गिनती सोमवार, 28 जनवरी को रात 2 बजकर 53 मिनट पर शुरू हुई थी। जीएसएलवी-एफ12 की यह सफलता भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में न केवल तकनीकी मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भारत के वैश्विक स्पेस प्रोग्राम में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम का भी प्रतीक है।
एनवीएस-02 उपग्रह भारत के 'नाविक' नेविगेशन प्रणाली का अहम हिस्सा बन गया है। यह उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप और इसके आस-पास के क्षेत्र में अत्यधिक सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा, जो समय, स्थिति और गति से संबंधित सेवाओं को बेहतर बनाएगा। यह उपग्रह भारतीय क्षेत्र में सटीक दिशा-निर्देश, ट्रैकिंग और अन्य महत्वपूर्ण नेविगेशन कार्यों के लिए एक भरोसेमंद साधन साबित होगा।
ISRO की यह सफलता देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के अथक प्रयासों का परिणाम है। इसके साथ ही यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में भारतीय सैटेलाइट सिस्टम और अधिक मजबूत और प्रभावी होंगे।