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Chaiti Chhath 2025: सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ की आज से शुरुआत, जानें 36 घंटे का निर्जला व्रत, कठिन नियम और अर्घ्य का महत्व

Chaiti Chhath Puja: चैती छठ व्रत संतान सुख और समृद्धि का है पर्व, जानें कब है संध्या व ऊषा अर्घ्य का शुभ मुहूर्त।

Ravi Rohan
  • Apr 1 2025 1:32PM

हिंदू धर्म में छठ पूजा एक अत्यंत पवित्र और महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे श्रद्धालु साल में दो बार मनाते हैं- कार्तिक और चैत्र मास में। चैत्र मास में मनाए जाने वाले इस पर्व को 'चैती छठ' कहा जाता है। यह व्रत भगवान सूर्य देव और माता षष्ठी को समर्पित होता है, जिसे सुख-समृद्धि, संतान सुख और परिवार की मंगलकामना के लिए किया जाता है।

हालांकि, कार्तिक मास में पड़ने वाली छठ पूजा अधिक प्रचलित है, लेकिन इसकी विधि और नियम चैती छठ से बिल्कुल समान होते हैं। इस व्रत को सबसे कठिन उपवासों में गिना जाता है, क्योंकि इसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है और कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है।

चैती छठ 2025 की तिथियां और शुभ मुहूर्त

🔸 नहाय-खाय (1 अप्रैल 2025, मंगलवार)
चैती छठ का शुभारंभ चतुर्थी तिथि से होता है, जिसे 'नहाय-खाय' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें कद्दू, चना दाल और अरवा चावल का विशेष महत्व होता है।

🔸 खरना (2 अप्रैल 2025, बुधवार)
छठ पूजा के दूसरे दिन 'खरना' का आयोजन होता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है।

🔸 संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल 2025, गुरुवार)
तीसरे दिन व्रती और श्रद्धालु डूबते हुए सूर्य को संध्या अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण चरण होता है, जब व्रती नदी, तालाब या जलाशय में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस वर्ष संध्या अर्घ्य का समय शाम 6:40 बजे तक रहेगा।

🔸 ऊषा अर्घ्य और पारण (4 अप्रैल 2025, शुक्रवार)
चैती छठ का चौथा और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए समर्पित होता है। इसी के साथ चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन हो जाता है और व्रती पारण कर व्रत का समापन करते हैं। इस वर्ष ऊषा अर्घ्य का समय सुबह 6:08 बजे तक रहेगा।

छठ पूजा का धार्मिक महत्व


छठ व्रत न केवल आत्मसंयम और श्रद्धा का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति और सूर्य देव की पूजा का भी प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि छठ माता की कृपा से संतान सुख, समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की प्राप्ति होती है। इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं होती, बल्कि सूर्य देव को जल अर्पित कर आस्था व्यक्त की जाती है।

छठ पूजा न केवल बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है, बल्कि अब पूरे भारत और विदेशों में भी इसका विस्तार हो चुका है। व्रत की कठिनाई और इसमें शामिल नियमों की वजह से इसे अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।

चैती छठ का पर्व चार दिनों तक चलने वाला एक कठोर लेकिन अत्यंत श्रद्धा और आस्था से जुड़ा पर्व है। यह सूर्य देव और छठी माता की कृपा प्राप्ति का अवसर होता है, जिसमें संयम, नियम और निष्ठा का विशेष महत्व होता है। इस पावन पर्व पर आप भी सूर्य उपासना कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर सकते हैं।

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