सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 3 फरवरी को महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देशों और नियमों के कार्यान्वयन पर सुनवाई करेगा। 29 जनवरी को हुई भगदड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मृत्यु और 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
याचिका में उठाई गई प्रमुख मांगें
याचिका में अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक प्रयासों की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर सुरक्षा सुनिश्चित करने और भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए उपाय करने चाहिए। याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक राज्य को सुरक्षा संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अपने सुविधा केंद्रों का गठन करना चाहिए, जो कि श्रद्धालुओं को आपातकालीन परिस्थितियों में सहायता प्रदान करेंगे।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में निर्देश
याचिका में यह भी सुझाव दिया गया है कि श्रद्धालुओं को सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में एसएमएस और व्हाट्सएप के माध्यम से सूचित किया जाए। इसके अलावा, महाकुंभ स्थल पर डॉक्टरों और नर्सों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
VIP आवाजाही को लेकर सख्त नियमों की अपील
याचिका में वीआईपी आवाजाही को नियंत्रित करने की भी बात की गई है। इसमें कहा गया कि सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और वीआईपी प्रोटोकॉल की बजाय भीड़ नियंत्रण और सुचारू आवाजाही पर जोर दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार को भगदड़ की घटना पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।