असम सरकार ने बाल विवाह को लेकर बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने इस मामले को लेकर ठोस कदम उठाएं है। इसको लेकर सीएम हिमंता ने कहा कि, राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के तीसरे चरण में 416 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई 21-22 दिसंबर की रात को शुरू की गई थी। जानकारी के मुताबिक पुलिस ने इस संबंध में 335 मामले दर्ज किए हैं और गिरफ्तार लोगों को रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार सख्त
बाल विवाह के खिलाफ के खिलाफ उठाएं गए इस ठोस कदम के बारे खुद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बताया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर मामले को लेकर पोस्ट शेयर किया है। इस पोस्ट में सीएम हिमंता ने लिखा कि, "हम इस सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए साहसिक कदम उठाते रहेंगे। राज्य सरकार ने फरवरी और अक्टूबर 2023 में दो चरणों में बाल विवाह के खिलाफ अभियान शुरू किया था। फरवरी में पहले चरण में 4,515 मामले दर्ज किए गए और 3,483 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि अक्टूबर में दूसरे चरण में 710 मामले दर्ज किए गए और 915 लोगों को गिरफ्तार किया गया।"
असम में बाल विवाह में कई आयी- रिपोर्ट
वहीं, 17 जुलाई को विश्व अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि, बाल विवाह के मामलों में कानूनी हस्तक्षेप पर असम सरकार का जोर अब देश के बाकी हिस्सों के लिए एक आदर्श बन गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असम सरकार की इस कानूनी रणनीति से वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य के 20 जिलों में बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी आएगी।
बता दें कि, इस वर्ष की शुरुआत में हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया था। असम विधानसभा के अंदर जब इस मुद्दे पर हंगामा हुआ और विपक्षी दलों ने पूछा कि इसकी क्या जरूरत है, तो सीएम हिमंत ने गुस्से में कहा कि वे बाल विवाह पर रोक लगाएंगे। उन्होंने कहा, "जब तक मैं जिंदा हूं, असम में बाल विवाह नहीं होने दूंगा।"