देश की राजधानी दिल्ली से लेकर पंजाब तक इन दिनों राजनीतिक दांव पेंच की कई घटनाएँ हम रोज़ देख रहे हैं, साथ ही देख रहे हैं कि सत्ता की कुर्सी पाने कितने जतन किए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जारी है…चुनाव में प्रत्याशी जोर आजमाइश कर रहे हैं, जिसमें उनके बीच आपसी प्रतिद्वंदता भी देखी जा सकती है, लेकिन सक्ती जिले के ग्राम मांजरकुद ने अपने आप में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसमें उन्होंने ग्राम पंचायत के सभी वार्ड और सरपंच पद में महिलाओं को निर्विरोध निर्वाचन किया है। यह अपने आप में एक प्रेरणा है, पढ़िये कैसे एक गाँव कैसे बन गया है औरों के लिए उदाहरण…
छत्तीसगढ़ का मांजरकुद गाँव
सक्ति जिले के डभरा ब्लॉक अंतर्गत बौराई नदी और महानदी के बीच में बसा टापूनुमा ग्राम मांजरकुद आज चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यहां के लोगों ने महिलाओं की हक और अधिकार के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है यह अपने आप में काबिले तारीफ है, दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन अभी भी महिलाओं को उनका अधिकार नहीं मिल पाता है, ऐसे में कम शिक्षित ग्राम और रोजी मजदूरी करने वाले आबादी ग्राम में प्रथम बार पंचायत बनने के पश्चात सभी पंचों और सरपंच को महिला निर्विरोध निर्वाचित किया गया है।
आज जब सत्ता की कुर्सी तक जाने तरह तरह के हथकंडे अपनाये जाते हैं, ऐसे में इस तरह के निर्णय को मूर्त रूप देना आसान नहीं था, क्योंकि पंच,सरपंच बनने की इच्छा कई लोगों के मन में थी इसके लिए ग्राम के बुजुर्ग सयाने लोगों ने आपस में बैठक की और महिलाओं के अधिकार दिलाने की बात करते हुए आपसी भाई चारे निभाने का निर्णय लिया है, क्योंकि सयाने लोगों को पता है कि पंचायत चुनाव के दौरान कई प्रकार की प्रतिद्वंदता आती है और आपसी मनमुटाव होता है उनके पुराने अनुभवों को नई पीढ़ी ने भी साथ दिया और सभी ग्राम ने एक परिवार बनकर यह निर्णय लिया कि महिलाओं को पंचायत की कमान सौंपी जाए।
ग्राम के सभी महिला पुरुष रोजी मजदूरी कर जीविकोपार्जन करते हैं जो की नदी तट पर सब्जी भाजी उगाकर जिवन यापन करते हैं, ग्राम मांजरकुद पूर्व पंचायत सीरियागढ़ से अलग होकर इस वर्ष एक नवीन ग्राम पंचायत बना है, जिसकी आबादी लगभग एक हजार है नवीन ग्राम पंचायत बनते ही ग्रामवासियों ने एक नया निर्णय लेते हुए अन्य ग्राम के लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। महिला सरपंच कुसुम माली की माने तो उनके अनुसार ग्राम के लोगों ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है, और उन्हें खुशी है कि उनके साथ देने वाली सभी पंच भी महिलाएं हैं वह ग्राम के विश्वास पर खरा उतरेंगे।
गांव के बुजुर्ग एवं कोटवार जीरा लाल माली ने कहा कि यह प्रस्ताव शुरू में उनके द्वारा रखा गया था। क्योंकि इस बार ग्राम की कमान महिलाओं को सौंपा जाए और उनके इस निर्णय को मूर्त रूप देने के लिए ग्राम के सभी वर्ग और जाति के लोगों ने सहमति देते हुए महिलाओं को पंचायत की कमान सौंपी है। ग्राम के सयाने बांटीलाल माली का कहना है कि महिलाओं को उनके हक और अधिकार देने के लिए उन्होंने इस निर्णय के लिए हामी भरी है। निश्चित तौर पर दुनिया की आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन अभी भी उनको हक एवं उनके अधिकार नहीं मिल पाता है, लेकिन मांजरकुद ने इस इसका उदाहरण प्रस्तुत करके एक नया इतिहास रचा है। साथ ही ये गाँव आदर्श है जोड़तोड़ करने वाले राजनेताओं के लिये।