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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के समय ऐसे करें रुद्राभिषेक, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

Deepika Gupta
  • Dec 28 2024 8:17AM

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है, और यह व्रत पूरे महीने के पुण्य लाभ को बढ़ाने के लिए किया जाता है। प्रदोष व्रत का आयोजन विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति का एक प्रभावी उपाय माना जाता है। तो आइए जानते हैं कैसे करें रुद्राभिषेक।

प्रदोष व्रत 2024 का शुभ मुहूर्त

रुद्राभिषेक करने का सबसे उत्तम समय प्रदोष काल का माना जाता है। ये समय भगवान सूर्य के अस्त होने के बाद शुरू होता है। ये समय ड़ेढ़ घंटे का होता है। शनिवार के दिन भगवान शिव के पूजन का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगा। ये मुहूर्त 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। हिंदू धर्म शास्त्रों में इस दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक की विधि बताई गई है। इस विधि से रुद्राभिषेक करने वालों पर भगवान शिव विशेष कृपा करते हैं।

रुद्राभिषेक पूजा विधि

रुद्राभिषेक भगवान शिव की पूजा का एक अत्यंत प्रभावी तरीका है। इसमें भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा होती है। यह विधि विशेष रूप से प्रदोष व्रत पर लाभकारी मानी जाती है। रुद्राभिषेक को करने से मानसिक शांति, धन-धान्य में वृद्धि, और हर प्रकार की नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।

प्रदोष व्रत के समय ऐसे करें रुद्राभिषेक

स्थान का चयन: सबसे पहले पूजा के लिए स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें। यदि मंदिर में पूजा करना हो, तो शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करें।
स्नान और शुद्धि: पूजा से पहले शरीर और मन की शुद्धि के लिए स्नान करें। सफेद या हरे रंग के वस्त्र पहनें।
शिवलिंग की पूजा: सबसे पहले शिवलिंग की पूजा करें। इस दौरान जल, दूध, शहद, घी और सफेद चंदन से अभिषेक करें।
रुद्राक्ष पहनें: रुद्राभिषेक के समय रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष की चूड़ियां पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मंत्र जाप: रुद्राभिषेक के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ रुद्राय नमः’ मंत्र का जाप करें। यह शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।
अर्चना: 108 बार शिव जी के मंत्रों का उच्चारण करें और फिर ताजे फूलों से उनका अभिषेक करें।
आरती और भोग: पूजा के बाद भगवान शिव की आरती गाएं और उन्हें उनका प्रिय भोग अर्पित करें।

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