केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय खुफिया विभाग द्वारा दलाई लामा की सुरक्षा को लेकर गृह मंत्रालय को दी गई रिपोर्ट के बाद लिया गया। इस सुरक्षा व्यवस्था के तहत दलाई लामा को कुल 33 सुरक्षाकर्मी मिलेंगे, जिनमें 12 कमांडो और 6 PSO (प्रारंभिक सुरक्षा अधिकारी) शामिल हैं, जो उन्हें 24 घंटे सुरक्षा देंगे। इसके अलावा, 10 आर्म्ड स्टैटिक गार्ड्स भी उनकी आवास पर तैनात रहेंगे।
खुफिया रिपोर्ट में सुरक्षा खतरों का जिक्र
खुफिया विभाग ने अपनी रिपोर्ट में दलाई लामा के जीवन को लेकर संभावित खतरों के बारे में चेतावनी दी थी। इन खतरों में चीन समर्थित तत्वों और विभिन्न अन्य संस्थाओं का नाम लिया गया था। रिपोर्ट के आधार पर दलाई लामा की सुरक्षा को भारतीय अधिकारियों ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है। अब, दलाई लामा की सुरक्षा के लिए ट्रेंड ड्राइवर और निगरानी कर्मी हमेशा ड्यूटी पर रहेंगे, जबकि 12 कमांडो उन्हें तीन शिफ्टों में सुरक्षा देंगे।
दलाई लामा का भारत में आगमन और सुरक्षा की महत्ता
दलाई लामा भारत में 1959 में तिब्बत में असफल विद्रोह के बाद शरण लेने के लिए आए थे। तब से ही उनके जीवन को कई बार खतरा महसूस हुआ है, और यही कारण है कि भारतीय सरकार ने उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। यह कदम खुफिया रिपोर्टों में विभिन्न संभावित खतरों की पहचान के बाद उठाया गया।
दलाई लामा की अंतरराष्ट्रीय यात्रा और सम्मान
दलाई लामा अब तक 67 से ज्यादा देशों का दौरा कर चुके हैं। भारत सरकार ने हमेशा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश की है। तिब्बत की राजधानी ल्हासा में 1940 में उन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता मिली थी। इसके अलावा, 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
विश्व नेताओं से समर्थन
दलाई लामा, जो कि तिब्बती बौद्ध धर्म के निर्वासित नेता हैं, जुलाई में 90 वर्ष के हो जाएंगे। उन्होंने अपने जीवन के अंत से पहले तिब्बत लौटने की इच्छा जताई है। विभिन्न अवसरों पर उन्हें विश्व नेताओं का समर्थन भी प्राप्त हुआ है। 2010 में, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा से मुलाकात की थी, जो उनके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को दर्शाता है।