प्रवर्तन निदेशालय (ED) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी सामने आई है. जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कार्यवाही के दौरान आवश्यक समझे जाने पर किसी भी व्यक्ति को तलब कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया पीएमएलए की धारा 50 के तहत तलब किए गए व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय से मिले समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना जरूरी है. ईडी की ओर से बुलाए जाने पर व्यक्ति को उपस्थित होना होगा और पीएमएलए के तहत कार्यवाही के अनुसार अगर जरूरी हुआ तो सबूत पेश करना होगा.
SC ने कहा, ''ऐसा देखा गया है कि ईडी किसी भी व्यक्ति को अधिनियम के तहत कार्यवाही के दौरान सबूत पेश करने या उपस्थिति देने के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलब कर सकती है. जिन लोगों को समन जारी किया गया है, उन्हें ईडी के उक्त समन का सम्मान करना और उसका जवाब देना आवश्यक है.''
वहीं इस बीच जानकारी सामने आई कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ए. एम. खानविलकर को मंगलवार को लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त किया गया. ए. एम. खानविलकर 13 मई 2016 से जुलाई 2022 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं. खानविलकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं.
लोकपाल के अध्यक्ष का पद 27 मई, 2022 को जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद से खाली था. बता दें कि लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है.