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Hariyali Amavasya 2024: रविवार को है हरियाली अमावस्या, भगवान शिव और विष्णु की कृपा के लिए पौधारोपण करना है फलदायी

Hariyali Amavasya: श्रावण मास की हरियाली अमावस्या का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है।

Ravi Rohan
  • Aug 3 2024 8:20PM
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत विशेष महत्व है। यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। वर्ष भर में कुल 12 अमावस्याएं आती हैं, जिनका अपना अलग महत्व है। सावन या श्रावण मास में मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या को खास माना जाता है, क्योंकि यह त्योहार भगवान शिव के प्रिय माह यानी सावन में पड़ता है। आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधान के विषय में:

हिंदू शस्त्रों में अमावस्या का दिन पूर्वजों को समर्पित होता है। इसी प्रकार हरियाली अमावस्या पर भी सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद पूर्वजों या पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनकी तथा भगवान की पूजा की जाती है। पित्रों के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाता है, जो ब्राह्मणों को दिया जाता है। परिवार का पुरुष सदस्य अपने परिवार के मृत सदस्यों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए पितृ-संस्कार करता है। हरियाली अमावस्या का त्योहार भूत भावन भगवान शंकर को भी समर्पित है। भक्त पूरी श्रद्धा के साथ शिवजी की पूजा करते हैं और सालभर धन धान्य के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर शिव-पूजा से धन और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

पंचांग के अनुसार अमावस्या

पंचांग के अनुसार सावन की अमावस्या तिथि 03 अगस्त, 2024 को दोपहर 03:50 मिनट पर शुरू हो रही है, जिसका समापन 04 अगस्त को दोपहर 04:42 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन मास की हरियाली अमावस्या रविवार, 4 अगस्त को मनाई जाएगी।

लगता है मेला

हरियाली अमावस्या पर देश के कई हिस्सों में मेले का भी आयोजित किया जाता हैं। उदयपुर में हरियाली अमावस्या का उत्सव तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर महिलाएं सामूहिक रूप से अपने पतियों के लिए प्रार्थना करती हैं। हरियाली अमावस्या श्रावण मास की अमावस्या है। इस अमावस्या को वर्षा ऋतु के त्योहार के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या का उत्सव उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में काफी प्रसिद्ध है। यह अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में इसे ‘गटारी अमावस्या’ कहते हैं, आंध्र प्रदेश में 'चुक्कला अमावस्या' और उड़ीसा में 'चितलागी अमावस्या' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पौधारोपण करना बहुत फलदायी माना जाता है।

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