हमेशा विवादों में घिरी रहने वाली महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर (IAS Pooja Khedkar) इन दिनों फिर चर्चा में है। IAS पूजा लगातार विवादों में बनी रहती हैं। लेकिन इस बार मामला इतना बड़ा है कि, वे नौकरी भी हाथ धो बैठेंगी। इसके साथ ही आईएएस की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पूजा परिवीक्षा अवधि के समय ही विवाद में फंस गई हैं। अब उनके चयन को लेकर ही सवाल उठ रहे हैं। क्यूंकी सिविल सेवा परीक्षा के दौरान, पूजा खेडकर ने खुद के मानसिक रूप से दिव्यांग होने का दावा किया था, लेकिन बिना जांच के ही उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया।
पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की सिविल सेवा अधिकारी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने UPSC परीक्षा में ऑल इंडिया 841वीं रैंक हासिल की थी। पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, जॉइनिंग से पहले ही पूजा ने नखरे दिखाना शुरू कर दिया था। 3 जून को ट्रेनी के रूप में ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले ही पूजा खेडकर ने एक अलग केबिन, कार, क्वार्टर और एक चपरासी प्रदान करने की मांग पेश की थी।
मेडिकल जांच में नहीं हुई शामिल
महाराष्ट्र की पूजा खेडकर ने 2019 में सामान्य श्रेणी से यूपीएससी की परीक्षा दी थी, मगर कम नंबर आने के कारण उनका चयन आईएएस पद पर नहीं हो सका था। दूसरी बार उन्होंने दिव्यांग श्रेणी से परीक्षा पास कर ली। 2 फरवरी, 2022 को पूजा खेडकर को नियुक्ति देने से मना कर दिया गया, मगर उन्होंने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा करते हुए अदालत में एक हलफनामा दायर किया था। 22 अप्रैल 2022 को पूजा खेडकर की मेडिकल जांच एम्स दिल्ली में होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमित होने का दावा कर पूजा जांच में शामिल नहीं हुईं। इसके बाद 26-27 मई को भी होने वाली मेडिकल जांच में वे नहीं आयी।
केंद्र ने जांच कमेटी गठित की
राज्य सरकार को नवी मुंबई पुलिस ने एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें कहा गया है कि, आईएएस अधिकारी पूजा ने डीसीपी रैंक के एक अधिकारी को फोन करके एक चोरी के आरोपी को रिहा करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की थी। फिलहाल पूजा का ट्रांसफर कर उन्हें वाशिम जिले का असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया है। ट्रेनी महिला IAS पूजा खेडकर अपने पद की हनक की वजह से विवादों में रहती है। ट्रेनी IAS पर निजी गाड़ी में लालबत्ती लगवाने, दिव्यांगता और ओबीसी कोटे के दुरुपयोग करने के आरोप है। इन सब के बाद अब केंद्र सरकार ने आरोपों की जांच के लिए एक पैनल गठित की है।
"मैं वाशिम के साथ काम करना चाहती हूँ"
विवादास्पद अधिकारी पूजा खेडकर से अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में जब पूछा गया तो उसने कहा कि, "मुझे अभी कुछ भी कहने की मनाही है। मैं वाशिम से जुड़कर खुश हूं और मुझे आगे वाशिम के साथ काम करना अच्छा लगेगा। सरकार ने मुझे कुछ भी कहने को अलाउ नहीं किया है।" इनकम और क्रीमी लेयर के मुद्दे पर पूछने पर पूजा खेडकर ने कहा कि, "मैं आपको कुछ भी नहीं बता सकती।" इतना कहकर वे मीडिया के सामने से चली गईं।
बहानों के बाद भी हुआ सिलेक्शन
सिविल सेवा परीक्षा के दौरान पूजा खेडकर ने हलफनामा दायर कर दावा किया था कि वह मानसिक तौर से दिव्यांग हैं। इस दावे की वजह से चयन में पूजा खेडकर को रियायत मिली और उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। बात दें कि, मेडिकल जांच के दौरान न किसी न किसी कारण से पूजा खेडकर ने 6 मौकों पर शामिल होने से किसी मना कर दिया था। इसके बाद भी उनका चयन हो गया।
माँ-बाप भी कुछ कम नहीं हैं
आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार का दावों के अनुसार पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर भी एक प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। हाल ही में उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। जबकि पूजा खेडकर ने खुद को ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर स्टेटस के लिए पात्र बताया था। यह भी विवाद का एक कारण है। अगर बात पूजा की माँ की करें तो, 2023 में वायरल हुई एक वीडियो, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर फिर से चर्चा में है। विडिओ में किसानों ने किसी बात पर विरोध किया तो खेडकर की मां मनोरमा खेडकर बाउंसर के साथ मौके पर पहुंच गई और उन्होंने किसानों को बंदूक दिखा कर धमकाया था।