इनपुट- संदीप मिश्रा, लखनऊ
परिवहन विभाग के कार्यालयों में अब बाबुओं की मनमानी नहीं चलेगी. उन्हें हर हाल में समय पर ऑफिस पहुंचना होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उनका सिस्टम ही ऑन नहीं होगा. विभागीय कार्यालयों में अब बैंकिंग जैसा सिस्टम लागू होगा. जिस तरह बैंक के कर्मचारी जब बायोमेट्रिक करते हैं उसके बाद ही उनका कंप्यूटर ओपन होता है उसी तरह की व्यवस्था अब परिवहन विभाग के बाबुओं पर लागू होगी. अब किसी को ओटीपी देकर सिस्टम लॉगिन नहीं हो पाएगा.
परिवहन विभाग के कार्यालयों में जो गलतियां अब तक होती आई हैं अब उनमें सुधार होना शुरू हो गया है. अब विभाग में टेक्नोलॉजी का भरपूर सहारा लिया जा रहा है. कई सरकारी कार्यालयों में ऐसी व्यवस्था है जो परिवहन विभाग के कार्यालयों में नहीं है. उन अच्छी व्यवस्थाओं को अब आरटीओ ऑफिस में लागू करने की तैयारी हो रही है. विभाग को जब महसूस हुआ कि लर्नर लाइसेंस में ओटीपी के चलते धोखाधड़ी हो रही है तो इसमें बायोमेट्रिक का विकल्प एक्टिव किया जा रहा है. इसी तरह प्रदेश के कई कार्यालयों से ऐसी शिकायतें आईं कि कार्यालय के बाबू समय पर आते नहीं और दूसरों को अपना पासवर्ड देकर कंप्यूटर ऑन कर देते हैं और काम शुरू हो जाते हैं, जिससे कई जगहों पर विभिन्न तरह के खेल भी सामने आए. इस तरह की कंप्लेन आने पर अब परिवहन विभाग के अधिकारियों ने प्लान बनाया है कि जल्द ही बैंकिंग की तरह ही परिवहन विभाग के कार्यालय में भी बायोमेट्रिक और फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था लागू की जाए. विभाग को यह परिवर्तन इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि अगर बाबू को ड्यूटी पर आने में देरी होती है तो किसी अन्य को अपना ओटीपी देकर कंप्यूटर ऑन करा दिया जाता है.
कई बार तो बाहरी व्यक्तियों ने सेटिंग कर ओटीपी से कंप्यूटर ऑन कर लिया और अपने कामों को अंजाम दे दिया. अब ये संभव नहीं हो पाएगा. बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन के बाद ही कंप्यूटर ओपन होगा. इसका यह भी फायदा होगा कि समय से कर्मचारी कार्यालय पहुंचेंगे जिससे जनता के काम समय पर हो सकेंगे और किसी तरह के अवैध काम ही नहीं हो पाएंगे.
आरटीओ कार्यालय में यह व्यवस्था लागू करने के पीछे परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारी तर्क देते हैं कि जब बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था शुरू होगी तो मजबूरन कार्यालय के कर्मचारियों को सही समय पर दफ्तर पहुंचना होगा. बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन के बाद उन पर यह दबाव रहेगा कि समय से पहुंचना है नहीं तो कार्यालय में जनता अपने काम को लेकर परेशान होगी. अधिकारियों तक शिकायत पहुंचेगी और कार्रवाई भी हो सकती है. पूर्व में ऐसे कुछ मामले हो चुके हैं जिसके चलते अब बायोमेट्रिक या फेस ऑथेंटिकेशन की व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है.