शारदीय नवरात्रि शुरुआत 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से हो चुकी है। इस बार नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगी। प्रतिपदा तिथि पर कलशस्थापना के साथ ही नवरात्रि का महापर्व शुरू हो चुका है। इस वर्ष देवी मां पालकी पर सवार होकर पृथ्वी पर आ रही हैं। देवी दुर्गा विश्व की माता हैं, मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा करने से सभी कष्ट, रोग, दोष, दुख और दरिद्रता का नाश हो जाता है। इस दौरान अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार अष्टमी और नवमी का व्रत किस दिन रखा जाएगा। साथ ही जानिए उनकी पूजा विधि यहां।
कब है अष्टमी और नवमी
पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है, जबकि नवमी तिथि क्षय हो रहा है। पंचांग के अनुसार इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि दोनों एक ही दिन यानी 10 अक्टूबर को पड़ रही हैं। इसके साथ ही शास्त्रों में सप्तमी और अष्टमी का व्रत एक ही दिन करना शुभ नहीं माना जाता। ऐसे में महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12.31 से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12.06 पर समाप्त हो जाएगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।
यहां देखिए शुभ मुहूर्त
चर (सामान्य) - सुबह 06.20 - सुबह 07.47
लाभ (उन्नति) - सुबह 07.47 - सुबह 09.14
अमृत (सर्वोत्तम) - सुबह 09.14 - सुबह 10.41
जानिए पूजा विधि
इस बार महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जा रही है. ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और गंगा जल छिड़कें।इसके बाद माता रानी के सामने दीपक जलाएं और मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। पूजा के दौरान माता रानी को अक्षत, लाल सिन्दूर, फूल और प्रसाद चढ़ाएं। देवी दुर्गा को प्रसाद के रूप में खीर, चना और पूरी जैसे सात्विक भोजन का भोग लगाया जा सकता है। धूप-दीप जलाने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में परिवार के साथ माता की आरती करें।
शारदीय नवरात्रि 2024 व्रत पारण
आप कन्या पूजन के बाद शारदीय नवरात्रि का व्रत खोल सकते हैं। हालांकि, नवरात्रि व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी की समाप्ति के बाद माना जाता है, जब दशमी तिथि प्रचलित होती है।