इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने हेतु प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस के विरोध में आज देश भर में लाखों बिजली कर्मचारियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किये। राजधानी लखनऊ में हजारों की तादाद में बिजली कर्मियों ने शक्तिभवन घेर लिया और निजीकरण के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन किया।
संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस होने तक लगातार संघर्ष जारी रहेगा। 24 एवं 25 जनवरी को बिजली कर्मी पूरे दिन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और भोजनावकाश या कार्यालय समय के उपरान्त विरोध सभायें करेंगे। 25 जनवरी को संघर्ष समिति संघर्ष के नये चरणों की घोषणा करेगी।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार आज बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं ने देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। निर्णय के अनुसार उप्र में हो रही बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया का विरोध करने हेतु देश के समस्त प्रान्तों की राजधानियों में विशाल प्रदर्शन किये गये। श्रीनगर, जम्मू, पटियाला, शिमला, देहरादून, चंडीगढ़, जबलपुर, गांधीनगर, मुम्बई, रायपुर, कोलकाता, रांची, गुवाहाटी, चेन्नई, बेंगलूरू, विजयवाड़ा, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम में बड़ी सभायें हुईं।
उप्र में राजधानी लखनऊ में हजारों बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता सुबह 10ः00 बजे से ही शक्तिभवन पहुंचने लगे थे। 11ः00 बजे तक हजारों बिजली कर्मियों ने शक्तिभवन मुख्यालय घेर लिया। उल्लेखनीय है कि शक्तिभवन मुख्यालय में निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कन्सलटेंट नियुक्त करने हेतु प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस 11ः30 बजे होनी थी। बिजली कर्मियों के शक्तिभवन घेर लेने के बाद शक्तिभवन में कोई प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस की बैठक नहीं हो पायी। संघर्ष समिति ने कहा कि यह पता चला है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने किसी अन्य स्थान पर अपने चहेते कंसलटेंट्स के साथ गुपचुप मीटिंग की है। संघर्ष समिति ने कहा कि चूंकि प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस हेतु निर्धारित स्थान शक्तिभवन मुख्यालय घोषित किया गया था अतः किसी अन्य स्थान पर की गयी कोई भी मीटिंग नियमानुसार पूरी तरह से असंवैधानिक है। ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन निजीकरण की इतनी जल्दी में हैं कि उन्हें वैधानिक प्रक्रिया का भी ज्ञान नहीं रहा। यह समाचार मिला है कि किसी अन्य स्थान पर उन्होंने कुछ चुनिंदा कन्सल्टेंट्स से कोई गुप्त बैठक की है। उप्र जैसे देश के सबसे बड़े प्रान्त में 42 जनपदों की विद्युत वितरण व्यवस्था का निजीकरण यदि इस प्रकार कुछ पूर्व निर्धारित निजी घरानों के साथ प्रक्रिया को ताक पर रखकर किया जा रहा है तो यह बहुत बड़े घोटाले का संकेत दे रहा है।
संघर्ष समिति ने पुनः कहा कि बिजली कर्मचारियों का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर पूरा विश्वास है। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे निजीकरण के मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें जिससे इस मामले में पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन को मनमाने ढंग से कार्य करने से रोका जा सके और निजीकरण की प्रक्रिया वापस हो।