शरद पूर्णिमा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा के लिए जाना जाता है। इस दिन की रात चंद्रमा पूर्ण रूप से जगमगाता है, जिसे देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का उत्तम समय माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से खीर का प्रसाद बनाकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभकारी होते हैं।
व्रत कथा
कथा के अनुसार, एक बार एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ एक गांव में रहता था। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी और वह हमेशा चिंता में रहता था। एक दिन, उसने अपने गांव में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाते हुए देखा कि लोग विशेष पूजा कर रहे हैं। उसने सोचा कि यदि वह भी पूजा करेगा तो मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।
वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर पूरी रात जागकर चंद्रमा की पूजा करने का निश्चय करता है। उन्होंने भगवान की आरती की, खीर बनाकर चंद्रमा को अर्पित किया और प्रार्थना की। उसकी भक्ति को देखकर मां लक्ष्मी प्रसन्न हुईं और उन्होंने उसे धन और ऐश्वर्य का वरदान दिया। इसके बाद, ब्राह्मण की किस्मत पलट गई। उसके घर में धन की कोई कमी नहीं रही और उसका परिवार सुख-समृद्धि से रहने लगा।
उपसंहार
इस व्रत की कथा हमें यह सिखाती है कि सच्चे मन से की गई पूजा और भक्ति का फल अवश्य मिलता है। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रद्धापूर्वक व्रत करना और चंद्रमा की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए, इस शरद पूर्णिमा पर अपने घर में मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस कथा को अवश्य पढ़ें और पूजन करें।