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Ahoi Ashtami 2024: अहोई अष्टमी पर बन रहा ये संयोग, जानें तारों को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

अहोई अष्टमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।

Rashmi Singh
  • Oct 21 2024 12:46PM

अहोई अष्टमी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। अहोई अष्टमी का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर भविष्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके साथ ही शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। इस दिन सभी महिलाएं देवी पार्वती के स्वरूप माता अहोई की पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं।  इस साल अहोई अष्टमी पर काफी शुभ योग बन रहा है, जो कई सालों के बाद बन रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अहोई अष्टमी के दिन गुरु पुष्य राजयोग के साथ-साथ सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग भी बन रहा है। अहोई अष्टमी की तिथि की बात करें तो दो दिन दूर होने के कारण यह असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि अहोई अष्टमी का व्रत किस दिन मनाया जाएगा। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की सही तिथि, समय और धार्मिक महत्व।

 अहोई अष्टमी तिथि

 पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह 1 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर दिन गुरुवार को ही रखा जाएगा।

 अहोई अष्टमी 2024 पूजा मुहूर्त

 अहोई अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा और यानि महिलाएं को पूजा करने के लिए 01 घंटा 16 मिनट का ही समय मिलेगा और तारों को देखने के लिए शाम का समय 06 बजकर 06 मिनट है। अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय रात 11 बजकर 56 मिनट है। 

 अहोई अष्टमी शुभ योग

 पंचांग के अनुसार, इस बार अहोई अष्टमी पर काफी शुभ योग बन रहा है। गुरु पुष्य नक्षत्र के साथ-साथ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग बन रहा है। पंचांग के अनुसार, अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से 25 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट तक बन रहा है। इसके साथ ही गुरु पुष्य योग सुबह भी सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रहा है, जो अगले दिन तक रहने वाला है। 

 अर्घ्य देने की परंपरा

 अहोई अष्टमी के दिन तारों को देखकर अर्घ्य देने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि अगर अहोई अष्टमी के दिन अनगिनत तारों को देखा और उनकी पूजा की जाए तो पूजा करने से परिवार में संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत में महिलाएं पूजा के दौरान देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार आकाश में तारे सदैव चमकते रहते हैं उसी प्रकार हमारे परिवार में जन्म लेने वाले बच्चे का भविष्य भी चमकता रहे। आकाश में मौजूद सभी तारे अहोई माता के वंशज माने जाते हैं। इसलिए तारों को अर्घ्य दिए बिना अहोई व्रत पूरा नहीं माना जाता है।

 अहोई अष्टमी व्रत का महत्व

 अहोई अष्टमी व्रत के दिन विवाहित महिलाएं बिना कुछ खाए-पीए व्रत निर्जला रखती हैं। इसके बाद देर शाम को तारों को देखकर अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। मान्यता है कि अगर मां पूरी श्रद्धा से यह व्रत रखती हैं तो अहोई माता उनकी संतान को दीर्घायु और यश प्रदान करती हैं और जीवन खुशियों से भर देती हैं। इसके साथ ही अहोई माता की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और परेशानियां जल्द खत्म होती हैं।

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