कोचीन शिपयार्ड में भारतीय नौसेना ने आठवें एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट प्रोजेक्ट के अंतर्गत चौथे और पांचवें जहाज 'माल्प और मुल्की' को एक साथ लॉन्च किया है। इन पनडुब्बी विध्वंसक युद्धपोतों को उथले पानी या तटीय क्षेत्रों में युद्ध कौशल को प्रस्तुत करने में विशेषज्ञता हासिल है।
आत्मनिर्भर भारत पहल के हिस्से के रूप में भारतीय तटीय सीमाओं की सुरक्षा के लिए मालप और मुल्की जहाजों की एक साथ लांचिंग स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की प्रगति को दर्शाता है। मंगलवार को रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि, चौथे और पांचवें जहाज क्रमशः 'माल्प और मुल्की' को नौसेना परंपराओं के अनुसार पिछले सोमवार को लॉन्च किया गया था।
भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता बढ़ेगी
यह कार्यक्रम दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल वी. श्रीनिवास की उपस्थिति में आयोजित किया गया है। यह उथले जलक्षेत्र में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयार की गई है। 'माल्प और मुल्की' पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारतीय नौसेना के एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) के स्वदेशी और घातक अत्याधुनिक जहाज वॉटर सेंसर से लैस हैं जो पानी में भी सक्रिय रूप से काम करते हैं। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि, इन पोतों के निर्माण से 80% स्वदेशी निर्माण के साथ स्वदेशी रक्षा उत्पादन को जबरदस्त बढ़ावा मिलने की आशा है। इससे रोजगार और राष्ट्रीय विनिर्माण क्षमताएं बढ़ेंगी।