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Bahraich Violence: पहले फोड़ा सिर, फिर फारा जबड़ा... बहराइच हिंसा में सुधाकर तिवारी भी हुए थे जिहादियों का शिकार

बहराइच में सुधाकर तिवारी पर भी जिहादियों ने किया था वार। धारदार हथियारं से मारकर गंभीर रुप से घायल कर दिया था।

Rashmi Singh
  • Oct 21 2024 2:21PM

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में रविवार यानी 13 अक्टूबर को माँ दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए पथराव और गोलीबारी में जिहादी भीड़ ने राम गोपाल मिश्रा नाम के युवक की हत्या कर दी। जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए। रामगोपाल की हत्या करने के साथ ही उपद्रवियों ने कई हिंदुओं को अधमरा कर दिया था। उन्हीं में से एक पीड़ित है सुधाकर तिवारी। 

बता दें कि, सुधाकर तिवारी हरदी थानाक्षेत्र के ही रहने वाले है। उनको जिहादियों ने धारदार हथियारं से गंभीर रुप से घायल कर दिया था। जिसके बाद सुधाकर तिवारी को बहराइच से लखनऊ रेफर किया गया था। डॉक्टरों के काफी प्रयास करने पर उनकी जान तो बच गई। हालांकि, गहरे घाव देह पर अभी भी देखे जा सकते है। 

सुधाकर तिवारी के भाई प्रभाकर तिवारी ने मीडिया को बताया कि, उनके भाई मां दुर्गाा के विसर्जन जुलूस में गए थे। उनके पास एक वीडियो भी है जब वो शांतिपूर्वक विसर्जन यात्रा में आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान विसर्जन यात्रा में हिंसा भड़की और पुलिस ने लाठीचार्ज करने शुरू कर दिया। इस दौरान सुधाकर एक ऐसी गली में चले गए जहां जिहादियों का झूडं था। इसी गली में मांस बेचने वालों की दुकानें भी थी। 

प्रभाकर ने आगे कहा कि, जब उनके भाई उस गली में पहुंचे तब वहा कुछ जिहादियों ने रोक लिया।  फिर उपद्रवियों ने सुधाकर के सिर और जबड़े पर धारदार हथियार और लाठी-डंडों से वार किया। जिसके बाद सुधाकर लहूलुहान होकर जमीन पर गिर गए और वहीं बेहोश हो गए। सुधाकर को मरा समझकर जिहादियों ने उनको वहीं छोड़ दिया और आगे बढ़ गए। मस्जिद के पास बेहोशी की हालत में मिले सुधाकर को सरकारी एम्बुलंस ने स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया। 

प्रभाकर ने आगे बताया कि, उनके भाई को इतनी बेरहमी से मारा गया कि स्थानीय अस्पताल ने उन्हें इलाज के लिए बहराईच मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। यहां पहुंचने के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी स्थिति गंभीर बताते हुए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया।  यहां पहुंचने के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी स्थिति गंभीर बताते हुए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया। लखनऊ जाते समय एंबुलेंस में कोई पुलिस स्टाफ मौजूद नहीं था। सुधाकर तिवारी का करीब 5 दिनों तक लखनऊ मेडिकल कॉलेज में इलाज चला और तब जाकर उनकी जान बच सकी। 

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