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'जो लोकार्पण नहीं चाहते थे, वो आज कहां हैं,' रमन ने बोला हमला, डिप्टी CM विजय शर्मा, बोले-'जिनका दिया हम खा रहे हैं, उनकी प्रतिमा लोकार्पण को राजनीति का अखाड़ा बना दिया', समारोह में छलका पूर्व IAS का दर्द

डिप्टी CM विजय शर्मा, बोले-'जिनका दिया हम खा रहे हैं, उनकी प्रतिमा लोकार्पण को राजनीति का अखाड़ा बना दिया',

Yogesh Mishra/ Rashmi Singh
  • Jan 6 2025 10:47AM

* स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मूर्ति लोकार्पण समारोह में पूर्ववर्ती सरकार पर जमकर जुबानी हमला
* भावुक हुए पूर्व IAS का छलका दर्द, 'पं. लखनलाल मिश्र का दुर्भाग्य था कि मैं उनका पुत्र था और मैने भाजपा ज्वॉइन की' 

"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।" राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों को याद करते हुए दुर्ग में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखनलाल मिश्र की प्रतिमा लोकार्पण अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 

अपने संबोधन में छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक धरोहर का जीवन प्रतीक थे। अंग्रेजों के शासन में उस समय भारत माता की जय कहने वाले इतने महान विभूति कहने वाले मिश्र जी को आज हम सभी याद कर रहे हैं।

इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र के पुत्र गणेश शंकर मिश्रा ने मुझे मुख्यमंत्री रहते मुझे प्रतिमा अनावरण का प्रस्ताव रखा था, आज मेरी भूमिका बदल गई है, आज मैं विधानसभा के अध्यक्ष की हैसियत से लोकार्पण कर रहा हूं। और हां कई लोगों की भूमिका बदल गई, जो लोकार्पण नहीं कराना चाहते थे, उनकी भी भूमिका बदल गई और वो आज कहां हैं, लोग ये जानते हैं। 

 गृहमंत्री विजय शर्मा ने जमकर बोला हमला 

गृहमंत्री विजय शर्मा ने पूर्ववर्ती सरकार को कोसते हुए कहा कि देश के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखनलाल मिश्र की प्रतिमा लोकार्पण के लिए हमें और प्रत्येक देशवासी को पाँच, छः वर्ष की प्रतिक्षा करनी पड़ी, ये बेहद दुखद है, लेकिन जीत सत्य की होती है और आज हम सब देश के गौरव, माटी के सपूत को नमन करने यहां उपस्थित हुए हैं। 

अपने संबोधन में राज्य के उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वो हैं, जिनका दिया हुआ हम खा रहे हैं, उसके बाद इतने लम्बे समय इतने महान शख्शियत की प्रतिमा का लोकार्पण नहीं होने बहुत दुखद है। 

उन्होंने पंडित लखनलाल मिश्र के उपस्थित परिजनों को आश्वस्त करते हुए कहा कि चिंता मत कीजिए, आने वाले छः सौ वर्षों तक ये मूर्ति दुर्ग आने जाने युवाओं को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने इस दौरान कहा कि प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की मूर्ति के अनावरण को राजनीति का अखाड़ा बनाया गया, वो निंदनीय है। 

 'पं. लखनलाल मिश्र का दुर्भाग्य था कि मैं उनका पुत्र था और मैंने भाजपा ज्वॉइन की'- गणेश शंकर 

कार्यक्रम में आए छत्तीसगढ़ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन से जुड़े लोगों व अतिथियों को प्रणाम करते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र के पुत्र रिटायर्ड आईएएस गणेश शंकर मिश्रा ने अपने पिता के संघर्ष के दिनों और उनके स्वाभिमान को याद करते हुए अपना अनुभव साझा किया। 

कार्यक्रम में भावुक होते गणेश शंकर मिश्रा ने कहा कि देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र की प्रतिमा को अनावरण के लिए छः वर्षों की प्रतिक्षा करनी पड़ी, ये बहुत पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि फ़्रीडम फाइटर भाजपा या कांग्रेस का नहीं होता है, फिर भी उन्हें राजनीति का शिकार बनाया गया। उन्होंने कहा कि ये पं. लखनलाल मिश्र का दुर्भाग्य था कि मैं उनका पुत्र था और मैंने भाजपा ज्वॉइन की, और ओछी राजनीति के कारण मेरे पिता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र की प्रतिमा को अनावरण के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा। 

 कहां रखी गई थी दुर्ग में प्रतिमा अनावरण की नींव?

बात 16 मार्च 2005 की है, जब एक समारोह में रायपुर जिले के ग्राम मुरा में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह, तत्कालीन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल केएम सेठ अनावरण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे। तब तत्कालीन राज्यपाल केएम सेठ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को आग्रह किया कि दुर्ग में भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लखनलाल मिश्र की प्रतिमा लगनी चाहिए। जिसके बाद तत्काल तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने घोषणा की और प्रतिमा की राशि 2016 में स्वीकृत की गई थी। 

प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह के साथ, राज्य के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल समेत स्थानीय विधायकगण और छत्तीसगढ़ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन से जुड़े सदस्य समेत प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे।

 कौन थे पंडित लखनलाल मिश्र?

पंडित लखनलाल मिश्र का जीवन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में त्याग, साहस और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है। वे छत्तीसगढ़ के एक प्रतिष्ठित मालगुजार परिवार से संबंध रखते थे और उनके पारिवारिक परिवेश में सामाजिक सेवा और देशभक्ति की गहरी जड़ें थीं। उनका जन्म 24 सितंबर 1909 को हुआ था और उनका जीवन त्याग, सेवा और राष्ट्रभक्ति का प्रतिमान बना।वे अंग्रेजों के शासनकाल में पुलिस दरोगा के रौबदार पद पर सन 1932 से कार्यरत थे, लेकिन उनके मन में सदैव एक टीस थी –देश के लिए खुलकर कुछ न कर पाने की पीड़ा।

वे ब्रिटिश प्रशासन का हिस्सा जरूर थे, लेकिन उनके भीतर जल रही राष्ट्रप्रेम की ज्वाला कभी मंद नहीं हुई। पुलिस की वर्दी पहने होने के बावजूद, वे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों और गांधीजी के सिद्धांतों के प्रति गहरी आस्था रखते थे और स्थानीय क्रांतिकारियों के बहुत सहयोग किया करते थे। लेकिन, पद की सीमाएं और दायित्व उन्हें खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने से रोकते थे। देशवासियों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते देख, उनका मन व्यथित हो उठता था। उनके लिए वर्दी और राष्ट्रप्रेम के बीच का यह संघर्ष असहनीय होने लगा था। रामधारी सिंह दिनकर की उन पंक्तियों का उल्लेख वे सदैव करते थे जो उनके द्वन्द्व को परिलक्षित करती हैं कि – “समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।” यह अंतर्द्वंद्व धीरे-धीरे उनके भीतर क्रांति की भावना को और अधिक बलवती करने लगा।

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