जहां भारत के जांबाज़ सैनिको ने पाकिस्तान को उसके घर में घुस कर औकात बता दी है और देश को गौरवान्वित किया है. वही, आज भारत के उस महान सपूत का जन्मजंयती दिवस है जिन्होंने अपने जीवन को राष्ट्रप्रेम और धर्मरक्षा में लगा दिया था. आज मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी के जन्मजयंती पर सुदर्शन परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है और उनकी गौरव गाथा को समय-समय पर जनमानस के आगे लाते रहने का संकल्प भी दोहराता है.
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी का जन्म 12 मार्च 1977 को केरल के कोड़िकोड में हुआ था. उनके माता और पिता का नाम उन्नीकृष्णन जी और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन जी था. कुछ साल बाद परिवार कर्नाटक के बेंगलुरु में शिफ्ट हो गया. पिता के. उन्नीकृष्णन जी इसरो के डायरेक्टर के पर्सनल असिस्टेंट थे. 1981 में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी का फ्रैंक एंटनी पब्लिक स्कूल में एडमिशन करवाया गया था.
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप का हिस्सा थे. संदीप उन्नीकृष्णन जी ने साल 1995 में पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में प्रवेश लिया था. फिर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी ने बिहार रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में शामिल होकर देश की सेवा शुरू की. साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भी संदीप उन्नीकृष्णन जी ने जाबांजी दिखाई थी. कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान संदीप उन्नीकृष्णन जी ने पाकिस्तान की तरफ से की जा रही गोलीबारी के बीच दुश्मन सेना से महज 200 मीटर दूरी पर एक पोस्ट का निर्माण किया था.
फिर आया साल 2003. संदीप लेफ्टिनेंट से प्रमोट होकर कैप्टन बन गए. फिर दो साल बाद जून 2005 में वह मेजर बन गए. फिर वो बेलगाम के कमांडो ट्रेनिंग सेंटर गए. वहां उन्होंने घातक कोर्स की ट्रेनिंग ली. उन्होंने इस कोर्स में टॉप भी किया. इसके बाद यहां से वह गुलमर्ग से भी सेना की कुछ ट्रेनिंग लीं.
इस तरह उन्होंने सियाचिन, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और गुजरात में अपनी सेवाएं दीं. उनके शानदार सेवाओं को देखते हुए उन्हें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड सर्विस दिल्ली में सिलेक्ट कर लिया गया. संदीप फिर दिल्ली आ गए. जनवरी 2007 में संदीप को एनएसजी के स्पेशल एक्शन ग्रुप का ट्रेनिंग ऑफिसर बना दिया गया.
इसी बीच मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी के पिता रिटायर हो गए. संदीप ने नवंबर 2008 को फोन करके माता-पिता को बताया कि कर्नाटक में उनके एक दोस्त की शादी है. इसलिए वह 17 दिसंबर 2008 में घर आएंगे. उनकी 30 दिसंबर 2008 को वापसी की टिकट भी कन्फर्म थी. घर वाले यह सुनकर काफी खुश हो गए. क्योंकि काफी लंबे समय बाद संदीप घर आ रहे थे.
सब कुछ सही चल रहा था. लेकिन 26 नवंबर 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में हमला कर दिया. मुंबई की आइकॉनिक बिल्डिंग्स को आतंकवादी निशाना बना रहे थे. वहीं, पर फेमस ताज होटल में आतंकवादी घुस गए थे. तभी संदीप को कहा गया कि उन्हें अपनी टीम के साथ फौरन मुंबई पहुंचना होगा.
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी भी बिना देर किए देश की रक्षा के लिए तैयार हो गए. वो अपनी टीम के साथ मुंबई पहुंचे. 26 नवंबर 2008 को ही रात साढ़े 11 बजे संदीप ने अपने पिता को फोन किया. बताया कि मुंबई में हालात बहुत खराब हैं. वहां आतंकियों ने होटल ताज पर हमला कर दिया है. आतंकियों के इस हमले में एटीएस चीफ हेमंत करकरे भी शहीद हो गए हैं. लेकिन संदीप ने पिता को यह नहीं बताया कि वो भी यहां ऑपरेशन के लिए आए हैं.
अगले दिन 27 दिसंबर 2008 को भी अटैक चलता रहा. उस दिन ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस देवेन भारती के पास पुलिस कंट्रोल रूम से कॉल आया. उन्हें बताया गया कि प्रिया फ्लोरेंस मार्टिस नामक महिला ताज होटल में फंसी हुई है. उनके अलावा और भी कई लोग होटल में फंसे हुए थे. भारती उस समय ताज में एनएसजी के साथ कोऑर्डिनेशन का काम देख रहे थे.
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी और उनकी टीम नहीं डरी. जब मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी अपनी टीम के साथ सीढ़ियों पर ऊपर की तरफ बढ़े तो आतंकियों ने फायरिंग कर दी और कमांडो सुनील कुमार जोधा जी गोली लगने से घायल हो गए. हालांकि अब आतंकियों के छिपे होने की जगह का पता लग चुका था. फिर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी अपने साथियों को नीचे भेज दिया और खुद आतंकियों से भिड़ गए. जब तक बैकअप टीम नहीं पहुंची मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी अकेले आतंकियों से लोहा लेते रहे. हालांकि क्रॉस फायरिंग के दौरान मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी को गोली लग गई और वो वीरगति को प्राप्त हो गए.