भूकंप से प्रभावित म्यांमार को पुनर्स्थापना में सहयोग देने के उद्देश्य से भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत अपनी सेना की इंजीनियर टीम म्यांमार भेजी है। यह कदम क्षेत्रीय सहयोग और मानवीय सहायता की भारत की नीति को मजबूत करता है।
भारतीय सेना की यह विशिष्ट इंजीनियर टीम 6 अप्रैल को म्यांमार पहुंची। कमांडिंग ऑफिसर के नेतृत्व में इस टुकड़ी में एक अधिकारी सहित छह सदस्य शामिल हैं, जो मंडाले और नेपिडॉ के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों का गहन निरीक्षण कर रहे हैं।
पुलों और भवनों की गहन समीक्षा
8 अप्रैल को मंडाले में तीन प्रमुख पुलों की स्थिति का जायज़ा लिया गया, जबकि 10 अप्रैल को नेपिडॉ में चार पुलों और लगभग 350 इमारतों के साथ छह स्थानों की विस्तृत जांच की गई। टीम के साथ म्यांमार सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारी और सुरक्षा दस्ते भी मौजूद रहे।
संरचनात्मक मज़बूती और विरासत स्थलों पर विशेष ध्यान
मूल्यांकन के दौरान इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि क्या प्रभावित ढांचों को भविष्य में सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। टीम ने मंडाले के इरावदी नदी पर स्थित पुराने अवा ब्रिज की भी विशेष तकनीकी जांच की, जो एक ऐतिहासिक विरासत स्थल माना जाता है।
सुरक्षित ढांचों की पहचान और मार्ग बहाली के सुझाव
प्रारंभिक सिफारिशों में असुरक्षित भवनों को योजनाबद्ध ढंग से ढहाने और नदी के प्रमुख मार्गों में जल प्रवाह बहाल करने हेतु क्षतिग्रस्त पुलों के हिस्सों को हटाने की बात कही गई है।
स्थानीय सहयोग से सफल हो रहा अभियान
म्यांमार प्रशासन और आम नागरिकों ने इस राहत प्रयास में भारतीय टीम को पूरा समर्थन दिया है, जिससे कार्य निष्पादन में सुगमता बनी हुई है। यह सहयोग दोनों देशों के बीच मजबूत मैत्री और विश्वास का प्रमाण है।
संकट में पड़ोसी की मदद में हमेशा तत्पर भारत
ऑपरेशन ब्रह्मा भारत की उस नीति को दर्शाता है जिसमें संकट के समय अपने पड़ोसी देशों के साथ खड़े रहने की भावना शामिल है। यह मिशन मानवीय सहायता और क्षेत्रीय एकजुटता की दिशा में एक प्रभावशाली कदम है।