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25 जुलाई : जन्मजयंती जगदीश वत्स जी... एक गोली उनके बाजू को चीरती हुई निकल गई, इस के बावजूद भारत माता की जय के नारे के साथ डाकघर पर फहरा दिया था तिरंगा

आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके जन्मजयंती पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है.

Sumant Kashyap
  • Jul 25 2024 8:44AM

आज़ादी के ठेकेदारों ने जिस वीर के बारे में नही बताया होगा, बिना खड्ग बिना ढाल के आज़ादी दिलाने की जिम्मेदारी लेने वालों ने जिसे हर पल छिपाने तो दूर सदा के लिए मिटाने की कोशिश की है. आज उन लाखों सशस्त्र क्रांतिवीरों में से एक  जगदीश वत्स जी जन्मजयंती है. वहीं, आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके जन्मजयंती पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है. 

जगदीश वत्स जी का जन्म उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में 25 जुलाई 1925 में हुआ था. हरिद्वार के 17 वर्षीय बालक जगदीश प्रसाद वत्स जी ने ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज, हरिद्वार में पढ़ते हुए आजादी का बिगुल बजाया था. कालेज के छात्रों का नेतृत्व करते हुए जगदीश जी ने तिरंगा झंडा हाथ में लेकर अंग्रेज पुलिस को चुनौती देने का साहस किया था. 13 अगस्त, 1942 की रात्रि में छात्रावास में छात्रों की एक बैठक हुई थी, जिसमें अगले दिन तमाम इमारतों पर तिरंगा फहराने के लिए निकलने की योजना बनाई गई.

जानकारी के लिए बता दें कि निर्णय को अमली जामा पहनाते हुए छात्रों का दल 14 अगस्त को सवेरे ही हरिद्वार की सड़कों पर भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाता हुआ निकल पड़ा. पुलिस के कड़े पहरे के बीच जब छात्र जगदीश प्रसाद वत्स जी ने सुभाष घाट पर तिरंगा फहराया तो अंग्रेज पुलिस की एक गोली उनके बाजू को चीरती हुई निकल गई. घायल जगदीश ने धोती को फाड़कर घाव पर बांध लिया और फिर दूसरा तिरंगा फहराने के लिए डाकघर की तरफ दौड़ लगा दी.

पुलिस की गोली चलने से बाकी छात्र तो तितर-बितर हो गए, लेकिन 17 वर्षीय जगदीश जी तिरंगा फहराने की जिद पर अडिग रहे. उन्होंने दूसरा तिरंगा डाकघर पर फहरा दिया. वहां भी पुलिस ने गोली चलाई, जो जगदीश के पैर में लगी. जगदीश ने फिर पट्टी बांधी और रेलवे लाइन के रास्ते रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर पाइप के रास्ते ऊपर चढ़कर तीसरा तिरंगा फहरा दिया. जैसे ही जगदीश तिरंगा फहराकर नीचे उतरे तो जीआरपी इंस्पेक्टर प्रेम शंकर ने उन्हें घेर लिया.

जगदीश वत्स जी ने ताव में आकर एक थप्पड़ प्रेम शंकर को रसीद कर दिया, जिससे वह धरती पर गिर पड़ा. इंस्पेक्टर ने जमीन पर पड़े-पड़े ही उन पर गोली चला दी. तीसरी गोली लगते ही जगदीश जी मूर्छित हो गए. उन्हें इलाज के लिए देहरादून मिलिट्री अस्पताल लाया गया. 

बताते हैं कि वहां जगदीश जी को एक बार होश आया था और उनसे माफी मांगने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने जब ऐसा नहीं किया तो उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर कथित रूप से मार डाला गया था.आज स्वतंत्रता के उस महानायक को उनके जन्मजयंती पर बारम्बार नमन करते हुए उनके यशगान को सदा-सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार दोहराता है.

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