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Basant Panchami 2025: 1 या 2 फरवरी कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी, जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त, और पूजन विधि

जानिए बसंत पंचमी कब मनाई जाएगी।

Rashmi Singh
  • Jan 30 2025 10:42AM

माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है। यह पर्व खासकर शिक्षा, कला और संगीत के क्षेत्र में निपुणता प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और उनसे ज्ञान, विद्या तथा बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। इस पर्व को वसंत पंचमी, श्री पंचमी और बसंत महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी, रविवार को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

 बसंत पंचमी का पर्व एक विशेष शुभ काल माना जाता है, जिसे 'अबूझ मुहूर्त' भी कहा जाता है। इस दिन विवाह, निर्माण और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं। ऋतुओं के संधिकाल में ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। अगर किसी की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग कमजोर हो, तो इस दिन विशेष पूजा करके उसे ठीक किया जा सकता है।

 पंचमी तिथि की शुरुआत: 2 फरवरी, सुबह 9:14 बजे

 पंचमी तिथि का समापन: 3 फरवरी, सुबह 6:52 बजे

 पूजा का मुहूर्त: 2 फरवरी, सुबह 7:09 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। इस दिन केवल 5 घंटे 26 मिनट का समय पूजा के लिए उपयुक्त होगा।

 ग्रहों को मजबूत करने के उपाय

 बुध कमजोर हो तो: यदि कुंडली में बुध कमजोर हो तो बुद्धि में कमी आती है। इस स्थिति में मां सरस्वती की पूजा हरे फल अर्पित करके करना लाभकारी होता है।

 बृहस्पति कमजोर हो तो: यदि बृहस्पति कमजोर हो तो विद्या प्राप्त करने में बाधाएं आती हैं। ऐसे में वसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर पीले फूल और फलों से मां सरस्वती की पूजा करें।

 शुक्र कमजोर हो तो: यदि शुक्र कमजोर हो तो मन की चंचलता बढ़ जाती है और करियर में सही निर्णय नहीं लिया जा पाता। इस स्थिति में वसंत पंचमी के दिन सफेद फूलों से पूजा करना उपयुक्त रहेगा।

 कैसे करें मां सरस्वती की उपासना?

 इस दिन पीले, बसंती और सफेद वस्त्र पहनें, काले या लाल वस्त्र से बचें।

 पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें।

 सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद ढाई घंटे का समय पूजा के लिए उपयुक्त रहता है।

 पूजा में मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले, सफेद फूल दाएं हाथ से अर्पित करें।

 प्रसाद में मिश्री, दही और लावा अर्पित करें। सर्वोत्तम प्रसाद के रूप में केसर मिश्रित खीर अर्पित करें।

 इसके बाद मां सरस्वती के मंत्र 'ऊं ऐं सरस्वत्यै नम:' का जाप करें। जाप के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

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