बेंगलुरु में डीआरडीओ सेमिनार को संबोधित करते हुए रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, "चूंकि प्रौद्योगिकी ने युद्ध की प्रकृति को पारंपरिक से अपरंपरागत और असममित में बदल दिया है, इसलिए भारत को नवीनतम प्रगति के साथ बने रहना चाहिए।" रक्षा राज्य मंत्री ने देश को रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने के लिए डीआरडीओ, एमएसएमई और स्टार्ट-अप सहित उद्योग और शिक्षा जगत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उनसे और अधिक नवीनतम नवाचारों के साथ आगे आने और 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में योगदान देने का आग्रह किया।
सेमिनार ‘DRDO-Industry Synergy towards Viksit Bharat: Make in India, Make for the World’ का आयोजन 15वें एरो इंडिया के समांतर किया गया। इस दौरान, 16 DRDO प्रयोगशालाओं की 19 विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के लिए 35 लाइसेंसिंग एग्रीमेंट्स (LATOT) 32 उद्योगों को सौंपे गए, ताकि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जा सके और भारत और विदेशों में संभावित ग्राहकों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके।
रक्षा राज्य मंत्री ने DRDO के ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) के लिए संशोधित नीति भी जारी की। यह नीति DRDO से उद्योगों को ToT प्रक्रिया को और सरल बनाने का उद्देश्य रखती है, ताकि उन्हें नवीनतम प्रौद्योगिकियों और DRDO की विशेषज्ञता तक आसान पहुंच मिल सके, साथ ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास (R&D) में SMEs के लिए व्यापार करने में आसानी हो। उन्होंने ‘DRDO Products for Export’ नामक अद्यतन संकलन भी जारी किया, जिसमें 200 से अधिक उत्पादों/सिस्टम्स को दिखाया गया है, जो भारत की अत्याधुनिक रक्षा क्षमताओं को मित्र देशों के सामने प्रस्तुत करते हैं।
इस समारोह के दौरान एयरवर्थीनेस पॉलिसी फ्रेमवर्क - IMAP-23 भी जारी किया गया। यह दस्तावेज़ भारतीय उद्योग की उभरती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सैन्य विमानन क्षेत्र के प्रमाणन प्रक्रिया में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। एक एयरवर्थीनेस सर्टिफिकेशन किट भी जारी किया गया, जो नीति दस्तावेज़ों और टेम्पलेट्स का एक व्यापक संकलन है, ताकि उद्योगों के लिए प्रमाणन आवश्यकताओं की आसान समझ सुनिश्चित हो सके।
इस कार्यक्रम के दौरान, केंद्र सरकार, रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान और एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के बीच तिपक्षीय MoU का आदान-प्रदान हुआ, जो डिज़ाइनटेड इंजीनियर प्रतिनिधि कार्यान्वयन के लिए है। यह MoU इंजीनियरों को प्रमाणन कार्यों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण देने में मदद करेगा।
दूसरी ओर, रक्षा उद्योगों, सरकारी एजेंसियों, मित्र देशों के प्रतिनिधिमंडल और रक्षा अटैचियों ने इस सेमिनार में भाग लिया। इसमें भारत से रक्षा उत्पादों के निर्यात पर वैज्ञानिकों और प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं। इस कार्यक्रम ने ‘रक्षा निर्यात में उद्योगों के लिए अवसर’ पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की।