रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक समुदाय से भारत के साथ मिलकर उन्नत प्रणालियों के सह-विकास और सह-निर्माण में भाग लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवाचारी दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है।
यह संबोधन उन्होंने 11 फरवरी, 2025 को बैंगलोर, कर्नाटक में आयोजित 'निर्भीकता निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय रक्षा और वैश्विक संलग्नता (BRIDGE)' रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान दिया। इस सम्मेलन में 81 देशों से 162 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें 15 रक्षा मंत्री, 11 उप रक्षा मंत्री, 15 स्थायी सचिव और 17 सेवा प्रमुख शामिल थे।
वैश्विक सुरक्षा संकट और नई चुनौतियां
रक्षा मंत्री ने कहा, "संघर्षों की बढ़ती संख्या, नई शक्ति संरचनाएं, नए तरीके और हथियारकरण के साधन, गैर-राज्य अभिनेताओं की बढ़ती भूमिका और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के उद्भव ने विश्व व्यवस्था को अधिक नाजुक बना दिया है। सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच अंतर धुंधला हो गया है, क्योंकि हाइब्रिड युद्ध की क्षमता शांति के समय भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संरचनाओं को निशाना बना सकती है। साइबर और बाह्य अंतरिक्ष, संप्रभुता की स्थापित परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं।"
विघटनकारी प्रौद्योगिकियां और युद्ध के रूप में परिवर्तन
राजनाथ सिंह ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम प्रौद्योगिकियां, हाइपरसोनिक और निर्देशित ऊर्जा जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियां युद्ध के रूप को बदल रही हैं और नई संवेदनशीलताएं पैदा कर रही हैं। उन्होंने यह भी जोर दिया कि ये परिवर्तन भविष्य के युद्ध पर गहरा प्रभाव डालेंगे और इसके लिए आवश्यक क्षमताओं की पुन: समीक्षा की जाएगी।
भारत की रक्षा क्षमताओं में सुधार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कमजोर स्थिति से नहीं, बल्कि एक मजबूत रक्षा नीति और प्रौद्योगिकी के जरिए कदम उठा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को सशक्त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। "हमने एक उपयुक्त नीति व्यवस्था बनाई है जो निवेश और आधुनिक भूमि, समुद्री और वायु प्रणालियों के निर्माण को बढ़ावा देती है। भारत का रक्षा क्षेत्र अनुसंधान और विकास (R&D) और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनता जा रहा है," उन्होंने कहा।
भारत का रक्षा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र
रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को उल्लेखित करते हुए कहा कि भारत दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी यूनिकॉर्न संख्या वाला देश है। उन्होंने भारत के अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग की अद्वितीय संभावनाओं को उजागर किया, जो एक मजबूत R&D आधार और उद्यमिता की भावना से समर्थित हैं।
भारत का वैश्विक दृष्टिकोण और सिद्धांत
रक्षा मंत्री ने भारत के शांति, सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण को साझा किया, जो समावेशी और सहयोगात्मक है। यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री मोदी के पांच 'S' सिद्धांतों से प्रेरित है: सम्मान (Respect), संवाद (Dialogue), सहयोग (Cooperation), शांति (Peace) और समृद्धि (Prosperity)। उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत भारत की अंतर्राष्ट्रीय संलग्नताओं का आधार हैं और आज के दुनिया में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान है।
‘SAGAR’ दृष्टिकोण और भारतीय महासागर क्षेत्र
राजनाथ सिंह ने 'सुरक्षा और विकास सभी के लिए' (SAGAR) दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, जो भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में समुद्री सुरक्षा, आर्थिक विकास और नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने कहा कि भारत गैर-पारंपरिक खतरों जैसे समुद्री लूट, आतंकवाद, अवैध मछली पकड़ने और जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वैश्विक सहयोग में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
साझेदारी की भावना और भारत का रक्षा निर्यात
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत लेन-देन आधारित संबंधों में विश्वास नहीं करता, बल्कि उनका दृष्टिकोण आपसी क्षमता निर्माण और साझीदार देशों की संप्रभुता के लिए सुरक्षा और समृद्धि पर जोर देता है। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य अपने साझीदारों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप सहायता प्रदान करके उनके स्वयं के रास्ते तय करने के लिए सक्षम बनाना है।
BRIDGE पहल और वैश्विक सहयोग
रक्षा मंत्री ने BRIDGE पहल को संवाद को कार्यान्वयन योग्य परिणामों में बदलने का संकल्प बताया, जो मजबूत, अनुकूल और भविष्य की दिशा में साझेदारियों को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, साइबर अपराध, मानवीय संकट और जलवायु से प्रेरित आपदाएं सीमाएं पार करती हैं और इनके लिए एकजुट प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
रक्षा मंत्रियों की सराहना
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्रियों ने भारत द्वारा आयोजित एरो इंडिया 2025 की सराहना की, जो दुनिया भर के निर्माताओं को नवीनतम नवाचारों और प्रौद्योगिकियों को एक ही स्थान पर प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने BRIDGE पहल की सराहना की, जो शांति और समृद्धि के लिए काम करने का वचन देती है।
तकनीकी साझेदारी और भविष्य की उम्मीदें
प्रतिनिधियों ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-विकास एवं सह-निर्माण के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की, और भारत को लचीली आपूर्ति श्रृंखला का साझेदार माना। उन्होंने भारत के शांति स्थिरता और अन्य देशों की क्षमताओं को बढ़ाने के प्रयासों की सराहना की।