इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने उत्तर प्रदेश के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में यह कहा है कि कानून व्यवस्था और बिजली के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार हुआ है किंतु खेद का विषय है कि बिजली के क्षेत्र में अभूतपुर सुधार के बावजूद बजट में बिजली के लिए किया गया आवंटन बेहद निराशाजनक है।
उन्होंने कहा की 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपए के बजट में बिजली के लिए की गई घोषणा उप्र की बिजली की जरूरतों को देखते हुए नगण्य है। उन्होंने कहा की अवस्थापना विकास हेतु 22%, शिक्षा हेतु 13%,कृषि के लिए 11% ,चिकित्सा के लिए 6%, सामाजिक सुरक्षा के लिए 4% और पूंजीगत परिव्यय 20.5% है। अलग से ऊर्जा क्षेत्र के लिए कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा की पंप स्टोरेज स्कीम के लिए 50 करोड रुपए, कोल इंडिया लिमिटेड के साथ संयुक्त उपक्रम में सोलर प्लांट के लिए 50 करोड रुपए और एनटीपीसी ग्रीन के साथ संयुक्त उपक्रम में सोलर प्लांट के लिए 80 करोड रुपए का आवंटन किया गया है। उप्र में लगातार बढ़ रही बिजली की मांग के सापेक्ष यह धनराशि कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम की प्रशंसा तो की गई है किंतु उत्पादन निगम के तहत किसी नई परियोजना को लगाने की घोषणा नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम से ही मिलती है। बजट में उत्पादन निगम के लिए किसी नई परियोजना की घोषणा न होना बेहद निराशाजनक है।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में बिजली की सेहत ठीक नहीं है वहीं दूसरी ओर बजट में वित्त मंत्री ने कहा है कि कानून व्यवस्था और बिजली के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। बजट की घोषणा को देखते हुए ऊर्जा मंत्री को निजीकरण की जिद छोड़ देनी चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में चल रहे ऊर्जा सुधारो को आगे बढ़ाना चाहिए।