गणेश जयंती, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटका, उत्तर भारत और गुजरात में धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष गणेश जयंती 2025 में 2 फरवरी को मनाई जाएगी। गणेश भगवान के जन्म की खुशी में यह पर्व पूरे देश में उमंग और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। तो जानिए पूजा की विधि और शुभ तिथि से लेकर पारण तक सबकुछ।
गणेश जयंती पूजा की विधि
गणेश जयंती पर पूजा के लिए विशेष रूप से विधिपूर्वक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। दिन की शुरुआत स्नान और शुद्धता से करनी चाहिए। इसके बाद घर में स्वच्छता का ध्यान रखते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को संकंपित स्थान पर स्थापित करें। यदि प्रतिमा को घर में स्थापित किया जा रहा है, तो ध्यान रखें कि वह स्वच्छ, हवादार और शांतिपूर्ण स्थान पर हो।
पूजा की शुरुआत भगवान गणेश का स्वागत करते हुए श्री गणेश मंत्र का जाप करने से करें। गणेश पूजा के लिए “ॐ गण गणपतये नम:” मंत्र का जाप प्रमुख रूप से किया जाता है। इसके बाद दीपक, धूप, अगरबत्तियाँ और फल-फूल चढ़ाएं। भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और अन्य प्रिय पकवान अर्पित करें। पूजा में 16 प्रकार की सामग्री, जिसे 'शोडशोपचार' कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है।
गणेश जयंती का शुभ मुहूर्त
गणेश जयंती पूजा का सबसे शुभ समय मध्याह्न में होता है। इस वर्ष गणेश जयंती पूजा का उत्तम मुहूर्त 2 फरवरी को दिन में 11:00 बजे से 1:00 बजे के बीच रहेगा। इस समय भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गणेश पूजा के बाद पारण
गणेश पूजा के अंत में पारण यानी व्रत का समापन करना होता है। पारण का समय गणेश विसर्जन के दिन तय होता है, जो गणेश स्थापना के 10वें दिन होता है। इस दिन भक्त गणेश भगवान की प्रतिमा को बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से विसर्जित करते हैं। पारण के दौरान व्रति अपने व्रत को खोलते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं।