इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207
साल 1990 का वो खौफनाक मंजर आज भी लोगों की आँखों के सामने तैर जाता है जब अयोध्या में कारसेवकों पर ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही थी। जैसे जैसे भगवान श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे इन शूरवीरों की शौर्य भरी कहानी भी याद आती जा रही है जिनकी बदौलत आज का ये शुभ अवसर सनातनियों को मिला है।
आज आपको हम बताएंगे एक ऐसे शूरवीर पुलिस वाले की कहानी जिसने न सिर्फ आंदोलन में अहम भूमिका निभायी बल्कि कार सेवकों का नेतृत्व किया और कई लोगों की जान भी बचाई। हम बात कर रहे हैं श्रीशचन्द्र दीक्षित की; जो इस आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण नेता थे। उन्होंने पुलिस प्रमुख के रूप में इस आंदोलन की रीढ़ की हड्डी का काम किया।
श्रीशचंद्र दीक्षित का जन्म 3 जनवरी 1926 को रायबरेली के लालगंज के सोतवा खेड़ा गांव में हुआ था। वह 1982 से 1984 तक उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे। दीक्षित एक तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी माने जाते थे। इससे पहले वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी रह चुके हैं। 1984 में सेवानिवृत्ति के बाद वह राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो गये। राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता अशोक सिंघल के आग्रह पर वे विश्व हिंदू परिषद से जुड़े और केंद्रीय उपाध्यक्ष बने। वह श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य भी थे।
उन्हें अक्टूबर-नवंबर 1990 में कारसेवा कार्यक्रम की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई थी। उनकी जिम्मेदारी कारसेवकों को सुरक्षित रूप से अयोध्या ले जाने की थी। बड़ी संख्या में कार सेवक और साधु-संत अयोध्या कूच कर रहे थे और भारी भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी। उधर प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा दिया था। पुलिस ने विवादित स्थल के 1.5 किलोमीटर के दायरे में अभेद्य सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों की भीड़ पर पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी, लेकिन इसी बीच कारसेवकों के एक समूह का नेतृत्व कर रहे पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीश चंद्र दीक्षित आगे आ गये। उन्हें सामने देखकर पुलिस वालों ने फायरिंग बंद कर दी। जिससे कई निहत्थे कारसेवकों की जान बच गयी। ये पूर्व पुलिस महानिदेशक के भीतर का सनातनी खून ही था जो बिना डरे गोलियां बरसा रहे पुलिस वालों के सामने सीना तानकर खड़े हो गए और प्रशाशन को घुटने टेकने पड़े।
श्रीश चंद्र दीक्षित राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से थे और उन्होंने आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में विशेष भूमिका निभाई थी। राम मंदिर आंदोलन के इस नायक को भारतीय जनता पार्टी ने वाराणसी से लोकसभा का टिकट दिया और वह वाराणसी से पहले कमल खिलाने वाले सांसद बने। राम मंदिर आंदोलन के नेता श्रीश चंद्र दीक्षित का 8 अप्रैल 2014 को निधन हो गया।