भारतीय रेलवे ने शनिवार को श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा स्टेशन से श्रीनगर तक अपनी पहली वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल रन किया। यह ट्रेन विशेष रूप से कश्मीर घाटी की सर्द जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन की गई है। ट्रेन अंजी खाद ब्रिज और चेनाब ब्रिज जैसे महत्वपूर्ण पुलों से होकर गुजरेगी। चेनाब ब्रिज को दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज माना जाता है, जबकि अंजी खाद ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज है।
रेल मंत्री की महत्वपूर्ण टिप्पणी
23 जनवरी को, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कई देशों ने भारत से सेमी-हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के आयात में रुचि दिखाई है। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि वंदे भारत की सफलता के बाद अन्य देशों की ओर से इसे अपनाने की इच्छा बढ़ी है। इस ट्रेन को 'मेक इन इंडिया' के तहत निर्मित किया गया है और इसे भारत की स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन के रूप में देखा जा रहा है।
वंदे भारत की शुरुआत
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन 15 फरवरी, 2019 को दिल्ली-कानपुर-इलाहाबाद-वाराणसी मार्ग पर किया गया था, और इसकी गति 160 किमी प्रति घंटा थी। इसके बाद से इस ट्रेन ने भारतीय रेलवे में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वंदे भारत ट्रेनों में लगभग 31.84 लाख बुकिंग हुई, और इन ट्रेनों का औसत अधिभोग दर 96.62 प्रतिशत रहा।
वंदे भारत की विशेषताएँ
वंदे भारत ट्रेन को विशेष रूप से कश्मीर की ठंडी जलवायु के लिए तैयार किया गया है। यह ट्रेन बर्फबारी और शून्य से नीचे 20 डिग्री तापमान में भी सहजता से चलने में सक्षम है। इसमें हीटिंग सिस्टम और पाइपों पर विशेष कोटिंग की व्यवस्था की गई है ताकि सर्दियों में पानी ना जमने पाए। इसके अलावा, ट्रेन में बड़े और मजबूत शीशे लगाए गए हैं, जो यात्रियों को प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं। इन शीशों को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है, ताकि यदि पत्थर भी लगे तो उन्हें कोई नुकसान न हो।
वंदे भारत ट्रेन भारतीय रेलवे के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल कश्मीर घाटी की ठंडी जलवायु से निपटने में सक्षम है, बल्कि इसकी उच्च गति और आधुनिक सुविधाएँ इसे यात्रियों के लिए आकर्षक भी बनाती हैं।