प्रभु श्री राम के प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व कर्नाटक सरकार की घिनौनी हरकत सामने आई है। आपको बता दें कि कर्नाटक सरकार ने तीन दशक पहले हुए आंदोलन जो की सन 1992 में हुआ था अब इस केस में सरकार और पुलिस ने मिलकर श्रीकांत पुजारी को बे-बुनियाद कारण से गिरफ्तार किया है। बता दें कि श्रीकांत पुजारी ने आज से करीब तीन दशक पूर्व एक आंदोलन में भाग लिया था जो की सन 1992 में राममंदिर आंदोलन के नाम से काफी प्रख्यात हुआ था ,जिसमें हिन्दू समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था। गौरतलब है कि ये केस आज से तीन दशक पहले का है। जिसे कर्नाटक सरकार उसे दुबारा खोल रही है।
बता दें कि इस मामले के सामने आने से आंदोलन में शामिल अन्य हिंदुओं पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग ने एक इस केस को दुबारा संचालित करने के लिए एक विशेष टीम को इकट्ठा किया है। जिसमें इस टीम ने 1992 के राम मंदिर आंदोलन से संबंधित मामलों में ‘संदिग्धों’ की एक सूची तैयार की है।
आपको बता दें कि सन 1992 का राममंदिर आंदोलन क्या था ? जानकारी है कि इस आंदोलन श्री राममंदिर को लेकर हिन्दू समाज आंदोलन कर रहा था जिसमें मुस्लिम पक्ष के कट्टर मुस्लिमों ने हिंसा शुरू कर दी , जिसकी की वजह से हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच सांप्रदायिक हिंसा छिड़ गई । इसी कड़ी में 5 दिसंबर, 1992 को हुबली में एक मालिक नामक शख्स की दुकान में आग लगाई गई थी। इस कथित आगजनी को लेकर श्रीकांत पुजारी को हुबली पुलिस ने हिरासत में ले लिया और अब वो अदालत की निगरानी में हैं।
गौरतलब है कि पुजारी इस मामले में तीसरे आरोपित हैं। कर्नाटक पुलिस इस केस में अन्य 8 आरोपितों की तलाश कर रही है। इसी तरह से हुबली पुलिस ने 300 ‘संदिग्धों’ की एक सूची बनाई है। पुलिस का दावा कि ये लोग 1992 और 1996 के बीच हुए सांप्रदायिक संघर्षों से जुड़े हैं। बता दें कि कर्नाटक सरकार ने इस केस में मुख्यतम हिन्दू नेताओं को ही अपना निशाना बनाया है और उन्हें पर्सनल टारगेट करके एक के बाद एक गिरफ्तारियां कर रहे है।