आज, गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि का खास दिन है जब भक्त शक्ति, साहस और आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लिए मां छिन्नमस्ता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुप्त नवरात्रि एक विशेष अवसर होता है जब देवी की आराधना और साधना गुप्त रूप से की जाती है। इस दौरान विशेष रूप से तंत्र-मंत्र साधना का महत्व बढ़ जाता है।
मां छिन्नमस्ता का स्वरूप बहुत ही रहस्यमय और शक्तिशाली है। वे तामसी और रक्षात्मक देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनके सिर को काटकर वह स्वयं रक्त पी रही होती हैं, और उनके शरीर से तीन धाराएँ बह रही होती हैं, जो उनके भक्तों को शक्ति और उन्नति प्रदान करती हैं। उनका यह रूप साधकों को यह सिखाता है कि जीवन में संघर्ष और आत्म-बलिदान के बाद ही सच्ची शक्ति और मुक्ति प्राप्त होती है।
मां छिन्नमस्ता के मंत्र: मां छिन्नमस्ता की साधना के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जिनमें से एक प्रमुख मंत्र है:
"ॐ ह्लीं छिन्नमस्तायै स्वाहा।"
इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, नकारात्मकता का नाश और जीवन में उन्नति मिलती है। साथ ही, यह मंत्र व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है, जिससे जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को पार किया जा सकता है।
विशेष लाभ
सभी संकटों का नाश – मां छिन्नमस्ता की पूजा करने से जीवन में आने वाली समस्याओं का निवारण होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में निरंतर संकटों का सामना कर रहे होते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति – छिन्नमस्ता की उपासना से साधक के भीतर आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती है। इससे साधक की मानसिक स्थिति सशक्त बनती है और वह आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
दृढ़ निश्चय और साहस – मां छिन्नमस्ता के आशीर्वाद से व्यक्ति के भीतर साहस और आत्मनिर्भरता का संचार होता है, जिससे वह किसी भी कठिनाई का सामना निडर होकर कर सकता है।