रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने 11 फरवरी को बेंगलुरु में DRDO द्वारा आयोजित एक सेमिनार में कहा, "तकनीकी प्रगति ने युद्ध की प्रकृति को पारंपरिक से अप्रत्याशित और विषमतम बना दिया है, इसलिए भारत को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।" उन्होंने DRDO, उद्योग, MSMEs, स्टार्टअप्स और शैक्षिक संस्थानों की सराहना की, जो देश को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं। उन्होंने इन सभी को नवीनतम नवाचारों के साथ आकर 2047 तक ‘विकसित भारत’ के विजन को साकार करने में योगदान देने का आह्वान किया।
‘विकसित भारत: मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विषय पर सेमिनार आयोजित
यह सेमिनार 15वें एरो इंडिया के साथ आयोजित किया गया था। इस अवसर पर 19 उन्नत तकनीकों के लिए 35 लाइसेंसिंग एग्रीमेंट्स (LATOT) 16 DRDO लैब्स की ओर से 32 इंडस्ट्रीज़ को सौंपे गए। इस कदम का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और भारत व विदेशों में संभावित ग्राहकों के बीच जागरूकता बढ़ाना है।
रक्षा राज्यमंत्री ने DRDO की नीतियों की घोषणा की
रक्षा राज्यमंत्री ने DRDO की संशोधित ‘Transfer of Technology (ToT)’ नीति का भी विमोचन किया। इस नीति का उद्देश्य DRDO से उद्योगों तक तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाना है, जिससे SMEs को रक्षा अनुसंधान और विकास में व्यापार करने में आसानी हो। इसके अलावा, उन्होंने ‘DRDO Products for Export’ नामक अद्यतन संग्रह का विमोचन किया, जिसमें 200 से अधिक रक्षा उत्पाद/सिस्टम शामिल हैं, जो भारत की अत्याधुनिक रक्षा क्षमताओं को मित्र देशों के सामने प्रस्तुत करते हैं।
विमानन प्रमाणन के लिए नया फ्रेमवर्क और किट का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान, भारतीय विमानन उद्योग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 'Airworthiness Policy Framework - IMAP-23' का विमोचन किया गया। इस दस्तावेज़ में सैन्य विमानन क्षेत्र के प्रमाणन प्रक्रिया में बदलाव को दर्शाया गया है। इसके साथ ही, ‘Airworthiness Certification Kit’ भी जारी किया गया, जिसमें प्रमाणन आवश्यकताओं को समझने के लिए सभी आवश्यक नीति दस्तावेज़ और टेम्पलेट्स शामिल हैं।
TRIPARTITE MoU और अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं
कार्यक्रम के दौरान, सैन्य विमानन और प्रमाणन केंद्र (Centre for Military Airworthiness and Certification), रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान (Defence Institute of Advanced Technology) और भारतीय विमानन समाज (Aeronautical Society of India) के बीच Tripartite MoU का आदान-प्रदान हुआ। यह MoU इंजीनियरों को प्रमाणन कार्यों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने में सहायक होगा।
इस सेमिनार में रक्षा उद्योगों, सरकारी एजेंसियों, मित्र देशों के प्रतिनिधियों और रक्षा अताशे शामिल हुए। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भारत से रक्षा उत्पादों के निर्यात पर प्रस्तुतियाँ दीं। साथ ही, ‘Defence Export में इंडस्ट्री के अवसर’ विषय पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई।