संसद में कल यानी 13 फरवरी, 2025 को नया इनकम टैक्स बिल पेश किया जा सकता है। यह बिल 7 फरवरी को कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्राप्त करने के बाद संसद में प्रस्तुत होने वाला है। इस बिल के बाद आयकर कानून 1961 को समाप्त कर दिया जाएगा और इसका स्थान नया आयकर विधेयक लेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बिल को संसद में पेश करेंगी, जिसके बाद इसे लोकसभा की सेलेक्ट कमिटी के पास विस्तृत चर्चा के लिए भेजा जाएगा। लोकसभा के सभी सदस्यों को बिल की कॉपी भी भेज दी गई है।
इस नए बिल के कानून बनने से आयकर रिटर्न फाइल करना पहले से कहीं अधिक आसान होने की उम्मीद है। इसकी मुख्य उद्देश्य मौजूदा आयकर अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाना है। वित्त मंत्री सीतारमण ने जुलाई 2024 के बजट में इसकी व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। इसके बाद सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने एक आंतरिक समिति का गठन किया था, जिसका उद्देश्य इस कानून को सुधारना और उसे और अधिक पारदर्शी बनाना था।
इस बिल को लेकर वित्त मंत्री ने 8 फरवरी को कहा था कि इसे लोकसभा में पेश करने के बाद एक संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा, जो इसके विभिन्न पहलुओं पर सिफारिशें करेगी। इन सिफारिशों के आधार पर, इसे फिर से कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद फिर से संसद में पेश किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तीन अहम चरणों के बाद यह विधेयक संसद में लागू होने के लिए तैयार हो जाएगा।
नया आयकर विधेयक 2025 या नया प्रत्यक्ष कर कोड भारत की कर प्रणाली में सुधार के लिए एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। इसका उद्देश्य देश की कर प्रणाली को और अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। इसे आम जनता और कारोबारियों के लिए सरल और स्पष्ट बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि कर व्यवस्था को लेकर किसी भी प्रकार की उलझन या असमंजस न हो।
इस प्रस्तावित विधेयक का अंतिम उद्देश्य भारत की कर नीति को अधिक प्रभावी और समृद्ध बनाना है, जिससे न केवल सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हो सके, बल्कि नागरिकों और व्यवसायों के लिए कर भरने की प्रक्रिया भी सरल हो सके।
क्या-क्या होंगे बदलाव?
नए आयकर बिल में कोई नया टैक्स लगाने का प्रावधान नहीं होगा।
मुकदमेबाजी को कम करना नए बिल का उद्देश्य होगा।
नए बिल का मकसद कर प्रणाली में पारदर्शिता लाना है।
पुराने और प्रचलन से बाहर हो चुके शब्दावलियों को हटाया जाएगा। कर से जुड़ी भाषा आसान और सरल होगी।
कई अपराधों के लिए सजा कम करने का प्रावधान भी हो सकता है।
इक्विटी के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस की अवधि में कोई बदलाव नहीं होगा। सेक्शन 101 (b) के तहत 12 महीने तक की अवधि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाएगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स की दर में कोई बदलाव नहीं। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 20 फीसदी बना रहेगा। 1 अप्रैल 2026 से नए बिल को लागू करने का प्रस्ताव।