स्वामी दयानंद सरस्वती की इस वर्ष 200वीं जयंती मनाई जा रही है, इस ऐतिहासिक अवसर पर आचार्य आर्य नरेश वैदिकगवेषक ने बधाई संदेश देते हुए स्वामी दयानंद के आदर्शों को जीवन में उतारने को प्रेरित किया है। उन्होंने सभी सनातनियों को विशेष रूप से यह संदेश दिया कि स्वामी दयानंद के आदर्शों को अपने जीवन में उतारना बहुत आवश्यक है ताकि हम समाज और राष्ट्र के उत्थान में योगदान दे सकें। इन पाँच कार्यों को अपने जीवन में शामिल करने से हम भारतवर्ष को पुनः विश्वगुरु बनने में अपना योगदान दे सकते हैं।
आचार्य जी ने यह पाँच सूत्र दिए हैं:
1. ओम् प्रभु का ध्यान
2. सनातन वेद का ज्ञान
3. यज्ञ हवन का अनुष्ठान
4. गोभक्त संस्कारी संतान
5. राष्ट्र सेवा हित बलिदान
इन पांच सूत्रों को अपनाकर हम अपने जीवन को श्रेष्ठ बना सकते हैं और अपने राष्ट्र को पुनः एक महान शक्ति के रूप में स्थापित कर सकते हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती के इस महान दृष्टिकोण को जीवन में उतारते हुए हम अपने समाज और देश को समृद्ध बना सकते हैं।

स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान संत, समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त अंधविश्वास, कुरीतियों और धार्मिक आडंबरों के खिलाफ आवाज उठाई। उनके योगदान से भारतीय समाज में जागरूकता आई और उन्होंने शिक्षा, समानता और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया। उनकी जयंती पर उनके योगदान और विचारों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी, 1824 को गुजरात राज्य के टंकारा गांव में हुआ था। जब हिंदू धर्म के दर्शन और धार्मिक शास्त्रों के विभिन्न मतों में भिन्नताएँ व्याप्त थीं, तब स्वामी दयानंद ने वेदों को ही सर्वोत्तम मार्ग के रूप में चुना। वे वेदों को "ईश्वर के वचन" के रूप में मानते थे, जिसमें ज्ञान और सत्य का वास्तविक और प्रामाणिक रूप बताया गया था।
आचार्य आर्य नरेश का सनातन वेद प्रचार में योगदान
आचार्य आर्य नरेश ने सनातन धर्म और वेदों के प्रचार में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। वे एक भूतपूर्व सिविल इंजीनियर रहे हैं, उन्होंने अपने महान ऋषि स्वामी दयानंद के जीवन से प्रभावित होकर नौकरी छोड़ दी और गुरुकुल में जाकर शास्त्रों का अध्ययन शुरू किया। आज वे देशभर में वेदों और सनातन धर्म के प्रचारक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आचार्य नरेश वेदों की महिमा को फैलाने का कार्य लगातार कर रहे हैं।
आचार्य आर्य नरेश भूतपूर्व प्रधान आर्य प्रतिनिधि सभा हिमाचल प्रदेश के सदस्य रहे हैं। इसके अलावा, वे सर्वदेशीय वैदिक प्रवक्ता के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। आचार्य नरेश का कार्य क्षेत्र न केवल भारत तक सीमित है, बल्कि वे विदेशी भूमि पर भी वेदों का प्रचार करते हैं। उन्होंने मॉरीशस, साउथ अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, नेपाल और मुजांबिब जैसे देशों में वेदों का प्रचार किया है।
यज्ञ और योग में गहरी रुचि
आचार्य नरेश यज्ञ के प्रति अपनी विशेष रुचि रखते हैं। वे यज्ञ पीएचडी गाइड हैं और इस विषय पर गहरी विद्वत्ता रखते हैं। इसके अलावा, वे स्वास्थ्य, देशभक्ति और योग के विषय पर भी लगभग 50 किताबें लिख चुके हैं, जो समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रही हैं।
धर्म रक्षा के संघर्ष में गिरफ्तारी
गोवा में हिंदुओं के धर्मांतरण को रोकने के प्रयास के दौरान आचार्य आर्य नरेश को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन उनकी तेजस्वी व्यक्तित्व और आकर्षण शक्ति के सामने न्यायालय ने स्वयं माफी मांग कर उन्हें रिहा किया। यह घटना उनकी प्रभावशाली शख्सियत को दर्शाती है।
आपदाओं में सेवा
आचार्य आर्य नरेश की प्रेरणा से, भारत के राष्ट्रपति के आर नारायण ने हिंदी सीखने की शुरुआत की। इसके अलावा, आचार्य जी ने गुजरात, भुज, किल्लारी (महाराष्ट्र) और उड़ीसा में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वहां पहुँचकर प्रभावित लोगों की मदद की और उन्हें यथासंभव सहायता दी।
जिहादी विरोधी संघर्ष और 55 वर्षों का वेद प्रचार कार्य
भारत में जिहादी गतिविधियों का विरोध करने के कारण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में उनके खिलाफ वारंट जारी किए गए, लेकिन आचार्य जी ने कभी भी अपने कार्य से पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगातार वेद प्रचार कर रहे हैं और पिछले 55 वर्षों से विभिन्न जगहों पर गायत्री यज्ञ, योग शिविरों और वेदों के प्रचार के माध्यम से समाज को जागरूक कर रहे हैं।
"Come Back to Vedas" का संदेश
आचार्य नरेश को "युवाओं के हृदय सम्राट" के रूप में जाना जाता है। उनका मानना है कि यदि युवा बचेंगे तो देश भी बचेगा, और इसलिए उनका मुख्य लक्ष्य है कि युवाओं को वेदों के प्रति जागरूक किया जाए। उनका प्रसिद्ध उद्धारण है "Come back to Vedas", जो युवा पीढ़ी को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।
यूट्यूब पर सैकड़ों प्रवचन
आचार्य नरेश ने यूट्यूब पर देश और धर्म की रक्षा हेतु सैकड़ों प्रवचन किए हैं, जो आज भी लाखों लोगों के दिलों में छाप छोड़ते हैं। वे निरंतर अपने ज्ञान के साथ समाज को मार्गदर्शन दे रहे हैं और देशभक्ति, वेदों और सनातन धर्म की रक्षा में अपने कार्य को निरंतर जारी रखते हैं।
आचार्य आर्य नरेश का अद्वितीय योगदान
आचार्य आर्य नरेश का जीवन और कार्य केवल एक साधक का नहीं, बल्कि एक जागरूक समाज और राष्ट्र निर्माण के प्रयास का प्रतीक है। वे जीवनभर वेदों और सनातन धर्म के प्रचार में संलग्न रहे हैं और उनका उद्देश्य है कि हम सब मिलकर वेदों के शाश्वत ज्ञान की ओर लौटें।