इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
उत्तर प्रदेश शासन की एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा बिजली के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया को अनुमति प्रदान करने से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने 10 जनवरी को विरोध दिवस मनाने और निजीकरण वापस होने तक सतत संघर्ष का ऐलान किया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन की एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को अंजाम देने हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने हेतु आर एफ पी डॉक्यूमेंट को अनुमति प्रदान करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और भड़काने वाला कदम है। उन्होंने कहा की इससे समस्त ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।
उन्होंने कहा की 05 अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 को क्रमशः तत्कालीन ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। आज एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा निजीकरण हेतु कंसल्टेंट की नियुक्ति हेतु दिया गया अनुमोदन इस समझौते का खुला उल्लंघन है ।संघर्ष समिति ने कहा कि वर्ष 2000 में जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब भी कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई थी और लगभग 15 करोड रुपए कंसलटेंट पर व्यय किए गए थे। विद्युत परिषद के विघटन का प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ है। एक बार फिर कंसल्टेंट की नियुक्ति कर सरकारी धन का अपव्यय किया जा रहा है और अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण पैदा किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने की अनुमति देने के विरोध में 10 जनवरी को विरोध दिवस मनाने का ऐलान किया है। विरोध दिवस के तहत समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियन्ता भोजनावकाश में या कार्यालय समय के उपरान्त समस्त जनपदों/ परियोजनाओं मुख्यालयों पर विरोध सभाएं करेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और निजीकरण का निर्णय वापस होने तक सतत संघर्ष जारी रहेगा। 11,12,13 और 14 जनवरी को अवकाश के दिनों में आम उपभोक्ताओं के बीच निजीकरण के विरोध में अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष के विस्तृत कार्यक्रमों की घोषणा कल की जाएगी।