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पहला निमंत्रण पाने वाली इस साध्वी की हुंकार से ही कारसेवकों का जोश हो जाता था हाई, बिकते थे ऑडियो टेप

1990 के दशक का 'राम जन्मभूमि आंदोलन' का इतिहास उन महिलाओं की कहानी के बिना अधूरा है, जो अपने तीखे भाषणों के ज़रिए प्रभावी नेता बन कर उभरीं। साध्वी ऋतंभरा ऐसी ही एक नेता हैं। एक समय पर वह आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक बन गई थीं।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Jan 18 2024 2:06PM

इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207

राम मंदिर जन्मभूमि के लिए तमाम कारसेवकों, साधु-संतों आदि ने अपने प्राणों की आहुतियां दे दी थीं तब जाकर कहीं आज हम सबको प्रभु राम की नगरी में ये शुभ अवसर देखने को मिल रहा है। 1990 के दशक का 'राम जन्मभूमि आंदोलन' का इतिहास उन महिलाओं की कहानी के बिना अधूरा है, जो अपने तीखे भाषणों के ज़रिए प्रभावी नेता बन कर उभरीं। साध्वी ऋतंभरा ऐसी ही एक नेता हैं। एक समय पर वह आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक बन गई थीं।

पंजाब के लुधियाना स्थित दोराहा में जन्मीं निशा ने महज 16 वर्ष की उम्र में भगवा चोला पहन लिया था। हरिद्वार के गुरु परमानंद गिरी ने उन्हें साध्वी जीवन का नया नाम दिया- ऋतंभरा। बात तब की है जब ऋतंभरा युवावस्था में थीं। वो बोलतीं तो ऐसा लगता मानो युद्धभूमि में तलवारों की टंकार गूंज रही हो। उनका एक-एक शब्द संकल्पों की सिद्धि को प्रेरित करता और रामभक्तों में नए जज्बे का संचार कर देता। 

राम मंदिर विरोधियों का कह दिया था कुत्ता-

उनकी बेबाकी और निडरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब दिल्ली एक रैली में साध्वी ऋतंभरा ने मुलायम सिंह यादव को कातिल, हिजड़ा जैसे शब्दों से नवाजा और राम मंदिर का विरोध करने वालों को कुत्ता तक कहा। माना जाता है कि ऋतंभरा जैसी महिला नेताओं की वजह से ही आंदोलन से बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं जुड़ी थीं। अनुमान लगाया जाता है कि 50 हजार से ज्यादा हिंदू औरतें कारसेवा में शामिल हुई थीं।

उत्तेजक भाषणों से मिली पहचान-

ऋतंभरा अपने भाषणों में हिंदुओं को जाति का भेदभाव भूलकर एक होने का आह्वान करती रही हैं। ऐसा वह सिर्फ किसी धार्मिक या राजनीतिक एजेंडे की वजह से नहीं कहती हैं। बल्कि यह उनके जीवन की भी सच्चाई रही है। ऋतंभरा हरिद्वार स्थित स्वामी परमानंद के आश्रम में ही रहीं और उनकी शिष्या बन गईं। स्वामी परमानंद के साथ भारत भ्रमण के दौरान ही उन्होंने भाषण देने का कौशल सीखा।उत्तेजक भाषण में निपुण ऋतंभरा जल्द ही विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय हो गईं। वीएचपी ने उन्हें मंदिर आंदोलन के दौरान अपना प्रवक्ता बना दिया था।

आंदोलन के दौरान बिकते थे ऑडियो टेप-

मंदिर आंदोलन के दौरान जिस एक आवाज को सबसे अधिक सुना गया, वह ऋतंभरा की आवाज थी। गली-नुक्कड़ से लेकर मंदिरों और भाजपा की सभाओं तक में ऋतंभरा के भाषणों को भीड़ में उत्तेजना भरने के लिए सुनाया जाता था। एक वक्त तो ऐसा आ गया था जब ऋतंभरा के भड़काऊ संदेश वाले भाषणों के ऑडियो टेप बनाकर एक-एक रुपए में बेचे जाते थे। मध्य प्रदेश की पुलिस ने साध्वी ऋतंभरा को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हाई कोर्ट से जमानत के बाद साध्वी ऋतंभरा 11 दिन बाद जेल से निकल पाईं। उसके बाद वो धीरे-धीरे थोड़ा गुप्त रहने लगीं। ये उनका प्रभाव ही था कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का पहला निमंत्रण पत्र साध्वी ऋतंभरा को ही मिला।

 

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