इनपुट- रवि शर्मा, लखनऊ
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया को पूरी तरह अवैधानिक करार देते हुए सभी बिजली कर्मियों का आह्वान किया है कि वे निजीकरण की अवैधानिक प्रक्रियाओं के विरोध में किसी भी समय आन्दोलन प्रारंभ करने के लिए अलर्ट रहें। आज जिस तरह सभी सीमाओं का उल्लंघन कर पावर कारपोरेशन प्रबन्धन ने बीड खोली है उससे पूरे प्रदेश में बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे एवं पॉवर ऑफिसर्स एसोशिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शक्ति भवन पर हुई सभा में ऐलान किया कि किसी भी समय आन्दोलन प्रारंभ करने हेतु सभी संगठन पूरी तरह लामबंद हैं। उन्होंने इस हेतु तमाम एक लाख बिजली कर्मियों को एलर्ट रहने का आह्वान किया। संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि वह उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के नाम पर हो रहे मेगा घोटाले को रोकने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों का मुख्यमंत्री जी पर पूरा विश्वास और वे उनके मार्गदर्शन में लगातार सुधार के कार्य में लगे हैं किन्तु पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने निजीकरण का राग छेड़कर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अंशाति उत्पन्न कर दी है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों और अभियंताओं ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन पर विरोध प्रदर्शन किया गया। शक्ति भवन पर बिजली कर्मियों ने पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन के विरोध में भ्रष्टाचारके के आरोप के नारे लगाते हुए रैली निकाली । संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह पता चला है कि कनफ्लिक्ट आफ इंटरेस्ट ( हितों के टकराव) के अति आवश्यक प्राविधान का उल्लंघन करते हुए पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन ने ऐसी कंपनियों से बीड ले ली है जो बड़ी बिजली कंपनियों के साथ काम कर रही हैं और यह हितों के टकराव का मामला है। इनमें से एक कम्पनी उप्र सरकार की एक ट्रिलियन योजना में भी काम कर रही है। यदि यह सही है तो यह अत्यन्त गम्भीर मामला है और माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति के सर्वथा विपरीत है।
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रारंभ से ही पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण हेतु इतना उतावला दिख रहा है कि वह लगातार सीवीसी की गाइडलाइंस का उल्लंघन कर निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 42 जनपदों की लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करने हेतु कुछ भी नहीं किया गया है। उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 में इस बात का साफ उल्लेख है कि सरकारी निगम की परिसंपत्तियों को जब निजी क्षेत्र को सौंपा जाना है तब परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किया जाना नितांत जरूरी है। उन्होंने कहा कि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना आर एफ पी डॉक्यूमेंट में परिसंपत्तियों की रिजर्व प्राइस 1500 - 1600 करोड रुपए रखना सरकारी क्षेत्र की परिसंपत्तियों की खुली छूट नहीं तो और क्या है ?
आज वाराणसी आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, हरदुआगंज, पारीछा, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन किया गया। संघर्ष समिति ने कहा कि अवकाश के बाद 17 मार्च को सभी जनपदों में और परियोजनाओं पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।