पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक मामले को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जबकि बलूच विद्रोहियों (BLA) ने इसे झूठ करार दिया।
अब पाकिस्तान ने एक नया मोर्चा खोलते हुए इस घटना के लिए भारत को दोषी ठहराया है। हालांकि, भारत ने इस दावे को पूरी तरह निराधार बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
भारत का करारा जवाब
भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए साफ कर दिया कि यह उसकी विफलताओं को छुपाने की कोशिश है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा,
"हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का असली गढ़ कहां है।"
भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने अंदर झांकना चाहिए और अपनी आंतरिक समस्याओं के लिए दूसरों पर दोषारोपण करने से बचना चाहिए।
पाकिस्तान का दावा: अफगानिस्तान से जुड़े थे हमलावर
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने अपने बयान में कहा कि जाफर एक्सप्रेस हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में अपने आकाओं से संपर्क में थे।
"भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर हमला करने वाले आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने नेताओं से निर्देश ले रहे थे।"
हालांकि, इन आरोपों के पीछे कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है।
बलूच विद्रोहियों का बड़ा दावा
इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली है। संगठन ने कहा कि उनका निशाना सिर्फ पाकिस्तानी सैन्यकर्मी थे, जबकि आम नागरिकों को सुरक्षित जाने दिया गया। बीएलए ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अभी भी कुछ पाकिस्तानी सैनिकों को बंधक बना रखा है और जल्द ही उन्हें मार दिया जाएगा।
450 से अधिक यात्री थे ट्रेन में
जाफर एक्सप्रेस में 450 से अधिक यात्री सवार थे, जब इसे मंगलवार को दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में निशाना बनाया गया। आतंकियों ने ट्रेन पर गोलियां बरसाईं, जिससे ट्रेन का चालक गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद उन्होंने ट्रेन को हाईजैक कर लिया।
BLA का कहना है कि इस हमले में उन्होंने 20 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और एक ड्रोन को भी नष्ट कर दिया। विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तानी सेना उनके इलाके से नहीं हटती, तो और भी हमले किए जाएंगे।
सच क्या है?
पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों पर कोई ठोस प्रमाण नहीं है, जबकि बलूच विद्रोही खुद इस हमले की जिम्मेदारी ले चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान की यह कूटनीतिक चाल उसकी छवि को बचाने की एक कोशिश मानी जा रही है।