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उर्दू अनुवादक ने मिलाया हाथ, थाने से छोड़ दिया गया हिन्दू बच्ची का रेपिस्ट सलमान; असीम अरुण को यही शिकायत दे कर रो पड़ा दलित परिवार... किताब वाले मौलाना पर भी सन्नाटा

मुरादाबाद में हुआ था DGP UP के आदेशों का खुला उल्लंघन

Rahul Panday
  • Mar 14 2025 5:49PM

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में नाबालिग दलित बच्ची के साथ हुए गैंगरेप में पुलिस ने अब तक 4 आरोपितों को गिरफ्तार कर के जेल भेजा है। इनके नाम सलमान, जुबैर, आरिफ और राशिद हैं। भले ही पुलिस विभाग को लग रहा हो कि उन्होंने इस मामले का पूरा खुलासा कर दिया हो लेकिन अभी कई ऐसे सवाल हैं जो स्याह सन्नाटे में दबे हुए हैं। प्रशासन की तरफ से अभी तक यह जानकारी सार्वजानिक नहीं की गई है कि 25 फरवरी को शिकायत ले कर गई पीड़िता की चाची का प्रार्थना पत्र कहाँ है। उस कथित उर्दू अनुवादक का भी ब्यौरा सार्वजानिक नहीं हुआ है जिस पर  सलमान को बुला कर थाने में घूमने का आरोप है। इसके अलावा अपहरण के दौरान पीड़िता को मिला कथित मौलाना और उसके द्वारा दी गई किताब को भी कहीं न कहीं दबाया जा रहा है।

सुदर्शन न्यूज़ ने इस पूरे घटनाक्रम की ग्राउंड रिपोर्ट की। हमारी रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्य निकल कर सामने आए जो अभी तक किसी भी पटल पर नहीं हैं। हमारे द्वारा मामले को प्रमुखता से ही उठाने के बाद प्रशासन और हिन्दू संगठन इस मामले में सक्रिय हुए और SHO संजय पांचाल को लाइन हाजिर करते हुए सब इंस्पेक्टर राजकुमार नैन व मुरलीधर को सस्पेंड कर दिया गया था। पर सवाल ये है कि क्या इतना काफी है ? 

उत्तर प्रदेश शासन में SC/ST व समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने शनिवार (8 मार्च 2025) को पीड़िता के घर का दौरान किया था। बच्ची से मिल कर उन्होंने सभी आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई का एलान किया था। असीम अरुण को ही पीड़ित परिवार ने एक लिखित शिकायती पत्र सौंपा है। शिकायती पत्र में  पीड़ितों ने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया है। सुदर्शन न्यूज़ के पास उस पत्र की एक कॉपी मौजूद है। 

नहीं माना गया DGP का आदेश

जो शिकायती पत्र पीड़िता की चाची ने असीम अरुण को भेजा है उसमें  बताया गया कि 2 जनवरी 2025 को उनकी नाबालिग भतीजी का अपहरण हुआ था। अगले ही दिन यानि 3 जनवरी को पीड़ित परिवार ने थाना भगतपुर में तहरीर दी। तत्कालीन DGP उत्तर प्रदेश द्वारा 24अगस्त 2016 को जारी परिपत्र संख्या 52/16 के हवाले से उस समय पुलिस को फ़ौरन ही FIR दर्ज कर के जाँच और नाबालिग की तलाश शुरू करनी थी। पर थाना पुलिस ने ऐसा नहीं किया। 

पीड़िता की चाची का कहना है कि 3 जनवरी को उनकी शिकायत को पुलिस ने 6 दिनों तक दबा दिया था। 9 जनवरी को इस शिकायत पर महज गुमशुदगी लिख कर खानापूर्ति कर ली गई। दरअसल गुमशुदगी की गंभीरता FIR से कम होती है। इसी कारण यह केस प्रमुखता से नहीं लिया गया। इस लापरवाही के चलते ही पीड़िता 2 महीने तक दरिंदों के पास बंधक बनी रही  इधर थाना पुलिस ने भी इतने दिनों में एक बार भी बच्ची की खोज खबर नहीं ली।    

कौन था सलमान को छोड़ने वाला उर्दू अनुवादक

बच्ची की चाची की तरफ से दी गई शिकायत में सबसे गंभीर आरोप एक उर्दू अनुवादक को ले कर हैं। इसमें बताया गया है कि डेढ़ महीने तक जब उनकी बेटी घर नहीं लौटी तब 25 फरवरी को वो फिर से पुलिस की मदद माँगने पहुँची। इसी समय पुलिस स्टेशन में तैनात एक उर्दू अनुवादक जिसका नाम संभवतः यूनुस बताया जा रहा है, वो सामने आया। उसने पीड़िता का प्रार्थना पत्र लिया और पढ़ने लगा। उसी ने पीड़िता को जहाँ एक तरफ कुछ पुलिसकर्मियों से मिलवाया तो वहीँ दूसरी ओर मुख्य आरोपित सलमान से सम्पर्क साध लिया। 

महिला के अनुसार 25 फरवरी को ही उन्हें थाने में बहुत समय तक बेवजह बिठाए रखा गया। इधर-उधर की बातें कर के गुमराह किया। आरोप है कि थाने के अंदर से ही फोन कर के सलमान को बुलवाया गया। कॉल जाते ही सलमान बाइक से थाने पहुँच गया। यहाँ उसने उर्दू अनुवादक यूनुस के साथ हाथों में हाथ डाल कर बड़ी देर तक हँसी-मजाक के अंदाज़ में बातचीत की। इसके बाद वो तमाम पुलिसकर्मियों के आगे ही बिना रोकटोक के वापस लौट गया।

इस शिकायत में यह भी कहा गया है कि बच्ची की चाची ने 25 फरवरी को थाने में जो नई शिकायत दी गई थी वह भी कहीं गायब कर दी गई है। पुलिस ने भी अभी तक उस शिकायत या उस पर की गई कार्रवाई की कोई भी जानकारी सार्वजानिक नहीं की है। इसी पुलिसिया लापरवाही पर हिन्दू संगठनों ने आक्रोश जताया है और SC/ST आयोग से माँग की है कि वो भगतपुर थाने की 25 फरवरी की CCTV फुटेज तलब करें। यह फुटेज शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि करने में सहायक होगा।
 

न किताब का पता न उसे देने वाले मौलाना का 

पीड़िता के बयान और उनकी चाची की लिखित शिकायत में एक संदिग्ध मौलाना का भी जिक्र है। बच्ची का कहना है कि उसे बंधक बनाने के दौरान आरोपित कोई झींगुर बाबा जैसा नाम ले रहे थे। दावा यह भी है कि इस संदिग्ध मौलाना ने  बच्ची को एक किताब भी पढ़ने के लिए दी थी। किताब का नाम शिजर ए तैयबा बताया जा रहा है। इसमें कई शब्द उर्दू में हैं और कुछ हिंदी में। किताब के दोनों तरफ मस्जिद और दरगाहों के चित्र बने हुए हैं। 

बच्ची के साथ वाल्मीकि समाज के लोगों का यह भी दावा है कि मौलाना की तरफ से उसे इस्लाम कबूल करने की भी दावत दी गई थी। जल्द से जल्द उस मौलाना की गिरफ्तारी की माँग के साथ कुछ सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन भी किया है। हालाँकि पुलिस ने अभी तक संदिग्ध मौलाना, उसकी किताब या उसके खिलाफ चल रही कार्रवाई की कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। बजरंग दल के सदस्यों ने सुदर्शन न्यूज़ से इस मामले में विदेशी ताकतों का हाथ होने का भी अंदेशा जताते हुए पुलिस से मौलाना को जल्द गिरफ्तार करने की माँग उठाई है। 

 
 

 

 

 
 

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